रविवार, 25 जुलाई 2021

रोटी की कीमत

🌕  रोटी  🌕*   


      *रामेश्वर ने पत्नी के स्वर्ग वास हो जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ सुबह शाम पार्क में टहलना और गप्पें मारना, पास के मंदिर में दर्शन करने को अपनी दिनचर्या बना लिया था।*


       *हालांकि घर में उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी। सभी उनका बहुत ध्यान रखते थे, लेकिन आज सभी दोस्त चुपचाप बैठे थे।* 


*एक दोस्त को वृद्धाश्रम भेजने की बात से सभी दु:खी थे" आप सब हमेशा मुझसे पूछते थे कि मैं भगवान से तीसरी रोटी क्यों माँगता हूँ? आज बतला देता हूँ। "*


      *कमल ने पूछा  "क्या बहू तुम्हें सिर्फ तीन रोटी ही देती है ?"*


       *बड़ी उत्सुकता से एक दोस्त ने पूछा? "नहीं यार! ऐसी कोई बात नहीं है, बहू बहुत अच्छी है।* 


       *असल में  "रोटी, चार प्रकार की होती है।"*

 

      *पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।*


       *एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।" उन्होंने आगे कहा  "हाँ, वही तो बात है।*


        *दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।", क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।* 


      *फिर तीसरी रोटी किस की होती है?" एक दोस्त ने सवाल किया।*


      *"तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है", थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।*


     *"लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?" मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-* 


        *"चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का "पेट" भरता है न ही "मन" तृप्त होता है और "स्वाद" की तो कोई गारँटी ही नहीं है", तो फिर हमें क्या करना चाहिये यार?*


      *माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।*


        *यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, बड़ी

[7/25, 20:18] Swami Sharan: सुप्रभात संग गुरू को समर्पित चंद पंक्तियाँ 


गुरू  महिमा




हे युग पुरूष तुम जग प्राण

स्वीकारें शत शत अभिवंदन


हे पाप संहारक तुम शांति दूत

सारा विश्व करता अभिनंदन


हे महा बोधि तुम क्रान्तिवीर

कम रहते सारे संबोधन


करे कामना पाये हम सब

युगों युगों तक उदबोधन


धीर वीर गंभीर मृदुल तुम

दयानिधी तुम उदारमना


ज्ञान रश्मियाँ आभा मंडल की

तोड़े नश्वर तमस घना


धन्य धरा जहाँ जन्म हुआ

कर्म भूमि पावन महा भागी


भावी सम दीप्त शशि से शीतल

उर आकांक्षा दर्शन की जागी


फूँका शंखनाद शांति का

अजब वाणी में आकर्षण


अजड़ अनाड़ी बने प्रज्ञावान

तज विषय वासना करें समर्पण


युग प्रणेता अमर रहो तुम

कीर्ति स्तंभ गुरूवार गिरीश


आशिषें धर कर फक्कड़ सिर

झुका है सविनय चरणों में शीश


पटल को नमन

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