आज का दिन मंगलमय हो
प्रस्तुति -कृष्ण मेहता: *मन्त्र विज्ञान* 🔸🔹🔹🔸 {{{अजपा गायत्री और विकार मुक्ति }}} 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 तीन तल हुए—एक वाणी में प्रकट हो, एक विचार में प्रकट हो, एक विचार के नीचे अचेतन में हो। ऋषि कहते हैं, उसके नीचे भी एक तल है। अचेतन में भी होता है, तो भी उसमें आकृति और रूप होता है। उसके भी नीचे एक तल है, महाअचेतन का कहें, जहां उसमें रूप और आकृति भी नहीं होती। वह अरूप होता है। जैसे एक बादल आकाश में भटक रहा है। अभी वर्षा नहीं हुई। ऐसा एक कोई अज्ञात तल पर भीतर कोई संभावित,पोटेंशियल विचार घूम रहा है । वह अचेतन में आकर अंकुरित होगा, चेतन में आकर प्रकट होगा, वाणी में आकर अभिव्यक्त हो जाएगा। ऐसे चार तल हैं। गायत्री उस तल पर उपयोग की है जो पहला तल है, सबसे नीचे। उस तल पर "अजपा" का प्रवेश है। तो जप का नियम है। अगर कोई भी जप शुरू करें—समझें कि राम—राम जप शुरू करते हैं, या ओम, कोई भी जप शुरू करते हैं; या अल्लाह, कोई भी जप शुरू करते है—तो पहले उसे वाणी से शुरू करें। पहले कहें, राम, राम; जोर से कहें। फिर जब यह इतना सहज हो जाए कि करना न पड़े और होने लगे, इसमें कोई एफर्ट न रह