रविवार, 14 नवंबर 2021

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी। /


वीरन के धरती जवानन के माटी,

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


बलिया ह गंगा माई गोदिया गदेला।

घाघर मउसीया क बीदकल बघेला ।।

सखिया सलेहर, अस सुरहा बहेला।

मगही अ टोंस संगे बलिया चलेला।


लागे मनभावन जस दीया आ बाती।

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


पं परशुराम निर्गुण धारा बतवनी।

भक्ति के रस हजारी बाबा बहवनी।।

दूतधनाथ नारी के महिमा सुनवनी।

काका केदार मांझी पुल गुण गवनी।।


बाबू गणेसी बन्हनी गणित के गाँती।

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


मंगल के मनले ह, लोहा जमाना।

बनल बलिया महानंद के दीवाना।।

चबववले चित्तू अंगरेजन के चाना।

भोजदत्त अहीर फुकले डाक थाना।।


मरद मोटबुधिया कांधे धईले ह लाठी।

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


मनबढ़ भईली जब दिल्ली दीवानी।

बलिया के जागल पुरनकी जवानी ।।

बाबू जयप्रकाश तब झरले फुटानी।

बलिया बगावत के लिखले कहानी।।


चंद्रशेखर बनले एह बलिया के थाती।

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


लोरिक के बलिया बनल मतवाला।

जब लिट्टी-चोखा के अहरा जोराला।।

बिरहा आ कजरी धुन सगरे सुनाला।

सत्तूआ के देख मन अलगे अगराला।।


बन बागी बलिया चढ़े दुश्मन के छाती।

बागी ह बलिया ई भोजपुरिया खांटी।।


                    'विनोद कुमार विमल।'

                         (14.11.21)

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. पूरा नहीं समझ पाई जितना समझ आया, अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं

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