मंगलवार, 10 मई 2022

विद्रोही " / अनंग

 " 

नया - नया  इतिहास  बताने लगता है।

वह  मेरा  विश्वास   डिगाने  लगता  है।।

दिखा-दिखाकर उंगली विद्रोही कहता। 

तथ्य   बताने  पर  घबराने   लगता  है।।

कायर अज्ञानी क्या-क्या कहने लगता। 

खुद  को  देशभक्त दिखलाने लगता है।। 

मनवाने को व्याकुल अपनी बात सभी। 

भड़काऊ   पुस्तकें  जुटाने  लगता  है।। 

अब तक लिखी-सुनी बातें सब झूठी हैं।

वह  तो  उल्टी  धार  बहाने  लगता  है।। 

सभी  बुजुर्गों - विद्वानों को झूठा कह।

जाने   कैसी   बात  सुनाने  लगता  है।।

आजादी के जो  नायक थे उन पर ही।

नए - नए  इल्जाम  लगाने  लगता  है।। 

अंग्रेजों  की  तरह  तोड़ने  वालों  का। 

विरुदावली गुणगान वो गाने लगता है।। 

चमन  सजाया  जाने  कितने फूलों ने।

वह सब पर अधिकार जताने लगता है।।..."

अनंग "

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