रविवार, 9 अक्तूबर 2022

एनी एरनॉक्स को इस वर्ष साहित्य का नोबेल

 एनी एरनॉक्स को इस वर्ष साहित्य का नोबेल


रमण कुमार सिंह


फ्रेंच लेखिका एनी एरनॉक्स को इस वर्ष का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि समझौते नहीं करने वाला उनका चालीस वर्षों का लेखन एक ऐसे जीवन की खोज है, जिस पर लिंग, भाषा और वर्ग से संबंधित महान असमानताओं के निशान हैं। एनी एरनॉक्स 17वीं महिला लेखिका हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। नोबेल समिति के अक्ष्यक्ष प्रोफेसर हेनरिक हेल्डिन ने कहा कि इस 82 वर्षीय लेखिका का काम 'प्रशंसनीय और स्थायी' महत्व का है। उन्होंने अर्ध आत्मकथात्मक कहानियों को सुनाने के लिए साहस और तटस्थ कुशलता का उपयोग किया, जो सामाजिक अनुभव के विरोधाभासों को उजागर करते हैं और शर्म, अपमान, ईर्ष्या और आपकी पहचान को देखने मे असमर्थता का वर्णन करते हैं। 

एनी एरनॉक्स जन्म 1940 में नार्मंडी में हुआ, जहां उनका प्रारंभिक जीवन गरीब, मगर महत्वाकांक्षी था। उनके माता-पिता कैफे और किराने की दुकान चलाते थे। जब उनका मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि की लड़कियों के साथ सामना हुआ, तो उन्हें अपने कामकाजी वर्ग के माता-पिता और अपने माहौल की शर्म का एहसास हुआ। बाद में इन सब अनुभवों को उन्होंने अपने उपन्यासों में स्थान दिया। उनकी आधिकारिक जीवनी के अनुसार उनके रचनात्मक कार्य का मुख्य विषय देह और यौनिकता, अंतरंग संबंध, सामाजिक असामनता और शिक्षा के माध्यम से वर्ग परिवर्तन का अनुभव, समय और स्मृति, और इन जीवन अनुभवों को कैसे लिखना है का व्यापक प्रश्न था। 

उनकी पहली पुस्तक क्लीन्ड आउट1974 में प्रकाशित हुई, जो 1964 में कराए गए उनके गर्भपात के अनुभवों पर आधारित थी, जब फ्रांस में गर्भपात अवैध था। एक विवाहित विदेशी राजनयिक के साथ उनके प्रेम पर आधारित पुस्तक ए सिंपल पैशन फ्रांस में बेस्टसेलर रही है। लेकिन फ्रांस से बाहर उन्हें द ईयर्स के लिए जाना जाता है, यह एक प्रयोगात्मक आत्मकथा है, जो फ्रांसीसी इतिहास की घटनाओं के साथ एरनॉक्स के जीवन के 70 से अधिक वर्षों की घटनाओं को एक साथ पिरोती है। 

लंबे समय से आलोचक उनके साहित्य की प्रशंसा करते रहे हैं। उनके लेखन में कथा और आत्मकथा के बीच की रेखा धुंधली पड़ जाती है। उनके आत्मकथात्मक उपन्यास विधा की मांग (मेलोड्रैमेटिक अंतरंग रहस्योद्घाटन एवं कथात्मक आख्यान की सहजता) की अवहेलना करते हैं, लेकिन गंभीर प्रामाणिक जानकारी प्रदान करते हैं। उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में बताया था कि उन्होंने लिखने की कोशिश कॉलेज के समय में ही शुरू की थी, लेकिन प्रकाशक ने बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी बताकर उसे प्रकाशित करने से इन्कार कर दिया। फिर जब तक वह तीस की नहीं हो गईं, तब तक कलम नहीं पकड़ी, जब वह दो बच्चों की मां नहीं बन गईं। अपना पहला उपन्यास क्लीन्ड आउट उन्होंने सबसे छिपाकर लिखा। उन्होंने लिखा, 'मेरी पहली पांडुलिपि को लेकर मेरे पति मजाक उड़ाते थे। मैंने पीएच. डी, थीसिस लिखने का बहाना बनाया। किताब प्रकाशित होने के बाद मेरे पति ने बहुत बुरी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि तुम गुप्त रूप से किताब प्रकाशित करवा सकती हो, तो मुझे धोखा भी दे सकती हो।' जल्द ही उन्हें अपने उदास वैवाहिक जीवन के बारे में लिखना पड़ा। बाद के उपन्यासों में उन्होंने अपनी मां की एल्जाइमर की बीमारी, अपने कैंसर और प्यार के बारे में भी लिखा।

(विष्णु प्रभाकर की फेसबुक वॉल से)

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