मंगलवार, 10 मार्च 2015

प्यार






प्रस्तुति-- स्वामी शरण

§प्यार का अर्थ[संपादित करें]

प्यार एक अद्भुत अहसास है। प्यार अनेक भावनाओं का, रवैयों का मिश्रण है जो पारस्परिक स्नेह से लेकर खुशी की ओर विस्तारित है। ये एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना है। ये किसी की दया, भावना और स्नेह प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इनसान के प्रति स्नेहपूर्वक कार्य करने या जताने को प्यार कह सकते हैं। कहते हैं कि अगर प्यार होता है तो हमारी ज़िन्दगी बदल जाती हैं।
प्राचीन ग्रीकों ने चार तरह के प्यार को पहचाना है: रिश्तेदारी, दोस्ती, रोमानी इच्छा और दिव्य प्रेम। प्यार को अकसर वासना के साथ तुलना की जाती है और पारस्परिक संबध के तौर पर रोमानी अधिस्वर के साथ तुला जाता है, प्यार दोस्ती यानी पक्की दोस्ती से भी तुला जाता हैं। आम तौर पर प्यार एक एहसास है जो एक इनसान दूसरे इनसान के प्रति महसूस करता है।

§सच्चा प्यार:-[संपादित करें]

  • किसी की परवाह करना होता है।
  • किसी के प्रति आकर्षण होता है।
  • किसी के प्रति लगाव होता है।
  • एक ज़िम्मेदारी होती है।
  • एक घनिष्ट रिश्ता होता है।

§प्यार के रूप [संपादित करें]

  • अवैयक्तिक प्यार
एक व्यक्ति किसी वस्तु, या तत्व, या लक्ष्य से प्यार कर सकता है जिनसे वो जुडा़ है या जिनकी वो कदर करता है। इनसान किसी वस्तु, जानवर या कार्य से भी प्यार कर सकता हैं जिसके साथ वो निजी जुड़ाव महसूस करता है और खुद को जुडे़ रखना चाहता है। अवैयक्तिक प्यार सामान्य प्यार जैसा नहीं है, ये इनसान के आत्मा का नज़रिया है जिससे दूसरों के प्रति एक शान्ति-पूर्वक मानसिक रवैया उत्पन्न होता है जो दया, संयम, माफी और अनुकंपा आदि भवनाओं से व्यक्त किया जाता है। अगर सामान्य वाक्य में कहा जाए तो अवैयक्तिक प्यार एक व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार को कहा जाता हैं। इसिलिए, अवैयक्तिक प्यार एक वस्तु के प्रति इनसान के सोच के ऊपर आधारित होता है।
  • पारस्पारिक प्यार
मनुष्य के बीच के प्यार को पारस्पारिक प्यार कहते हैं। ये सिर्फ एक दूसरे के लिये चाह नहीं है बल्कि एक शक्तिशाली भाव है। जिस प्यार के भावनाओं को विनिमय नही किया जाता उसे अप्रतिदेय प्यार कहते हैं। ऐसा प्यार परिवार के सदस्यों, दोस्तों और प्रेमियों के बीच पाया जाता हैं। पारस्पारिक रिश्ता दो मनुष्य के साथ मज़बूत, गहरा और निकट सहयोग होता है। ये रिश्ता अनुमान, एकजुटता, नियमित व्यापार बातचीत या समाजिक प्रतिबद्धित कारणों से बनता है। ये समाजिक, सांस्कृतिक और अन्य कारक से प्रभावित हैं। ये प्रसंग परिवार, रिश्तेदारी, दोस्ती, शादी, सहकर्मी, काम, पड़ोसी और मन्दिर-मस्जिद के अनुसार बदलता है। इसे कानून के द्वारा या रिवाज़ और आपसी समझौते के द्वारा विनियमित किया जा सकता है। ये समाजिक समूहों और समाज का आधार है।

§प्यार के कई आधार हैं[संपादित करें]

  • जैविक आधार
यौन के जैविक मॉडल में प्यार को भूख और प्यास की तरह दिखाया गया हैं। हेलेन फिशर, प्यार की प्रमुख विशेषज्ञ हैं। उन्होनें प्यार के तजुर्बे को तीन हिस्सों में विभाजन किया हैं: हवस, आकर्षण, आसक्ति। हवस यौन इच्छा होती है। रोमानी-आकर्षण निर्धारित करती है कि आपके साथी में आपको क्या आकर्षित करता है। आसक्ति में घर बांट के जीना, माँ-बाप का कर्तव्य, आपसी रक्षा और सुरक्षा की भावना शामिल है।
वासना प्रारंभिक आवेशपूर्ण यौन इच्छा है, जो संभोग को बढ़ावा देता है। ये समागम और रसायन की रिहाई को बढ़ावा देता है। इसका प्रभाव कुछ हफ्ते या महिनों तक ही होता है। आकर्षण एक व्यक्तिगत और रोमानी इच्छा है जो एक ही मनुष्य के प्रति है जो हवस से उत्पन्न होती है। इससे एक व्यक्ति से प्रतिबद्धता बढ़ती है। जैसे जैसे मनुष्य प्यार करने लगते हैं, उनके मस्तिष्क में एक प्रकार के रसायन की रिहाई होती हैं। मनुष्य के मस्तिष्क में सुखों के केन्द्र को उत्तेजित करता है। इस वजह से दिल कि धड़कनें बढ़ जाती हैं, भूख नही लगती, नींद नहीं आती और उत्साह की तीव्र भावना जाग्रृत होती है। आसक्ति ऐसा लगाव है जिससे सालों रिश्तों की बढ़ोतरी होती है। आसक्ति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है जैसे शादी, बच्चे या दोस्ती पर।
  • मनोवैज्ञानिक आधार
मनोविज्ञान में संज्ञानात्मक और समाजिक घटना को दर्शाया जाता है। मनोविज्ञानी रोबेर्ट स्टर्न्बर्ग ने प्यार के त्रिभुजाकार सिद्धांत को सूत्रबद्ध किया हैं। उन्होंने तर्क किया के प्यार के तीन भिन्न प्रकार के घटक हैं: आत्मीयता, प्रतिबद्धता और जोश। आत्मीयता वो तत्व है जिसमें दो मनुष्य अपने आत्मविश्वास और अपने ज़िन्दगी के व्यक्तिगत विवरण को बाँटते हैं। ये ज़्यादातर दोस्ती और रोमानी कार्य में देखने को मिलता है।
प्रतिबद्धता एक उम्मीद है कि ये रिश्ता हमेशा के लिये कायम रहेगा। आखिर में यौन आकर्षण और जोश है। आवेशपूर्ण प्यार, रोमानी प्यार और आसक्ति में दिखाया गया है। प्यार के सारे प्रपत्र इन घटकों का संयोजन होता हैं। पसन्द करने में आत्मीयता शामिल् होती हैं। मुग्ध प्यार में सिर्फ जोश शामिल होता हैं। खालि प्यार में सिर्फ प्रतिबद्धता शामिल हैं। रोमानी प्यार में दोनो आत्मीयता और जोश शामिल होता हैं। साथि के प्यार में आत्मीयता और प्रतिबद्धता शामिल होता हैं। बुद्धिहीन प्यार में प्रतिबद्धता और जोश शामिल हैं। आखिर् में, घाघ प्यार में तीनों शामिल होते हैं।
  • विकास्वादी आधार
विकासवादी मनोविज्ञान ने प्यार को जीवित रहने का एक प्रमुख साधन साबित करने के लिए अनेक कारण दिया हैं। इनके हिसाब से मनुष्य अपने जीवनकाल में अभिभावकिय सहायता पर अन्य स्तनपायियों से ज़्यादा निर्भर रहते हैं, प्यार को इस वजह से अभिभावकीय सहारे को प्रचार करने का तंत्र भी माना गया हैं। ये इसलिये भी हो सकता हैं, क्योंकी प्यार के कारण योन संचारित रोग हो सकता है जिसकी वजह से मनुष्य के जननक्षमता पर असर पड सकती हैं, भ्रूण पर चोट आ सकती हैं, बच्चे पैदा करते वक़्त उलझनें भी हो सकती हैं इत्यादि। ये सब चीज़ें जानने के बाद समाज में बहुविवाह की पद्दति रुक सकती हैं।

§प्यार के कई द्रुष्टिकोण हैं[संपादित करें]

§राजनीतिक द्रुष्टिकोण[संपादित करें]

  • आज़ाद प्यार
आज़ाद प्यार एक सामाजिक आंदोलन का वर्णन करता है जो शादि जैसे पवित्र बंधन को नही मानता। आज़ाद आंदोलन का प्रमुख लक्ष्य ये ता की प्यार को योन विषयों, जैसे शादि करना, जन्म नियंत्रण और व्यभिचार से दूर रखे। यह आंदोलन का मानना है की ये मुद्दे इस विषय से संबंधित लोगों के लिए चिंताजनक है।

§दार्शनिक द्रुष्टिकोण[संपादित करें]

प्यार के दर्शन एक सामाजिक दर्शन और आचार का क्षेत्र है जो हमें प्यार के स्वपरूप बताते हैं। प्यार के दार्शनिक जांच, निजि प्रेम के विभिन्न प्रकार के बीच के विशिष्टता को दिखाना, प्यार को उचित किस प्रकार साबित कर सकते हैं या किस प्रकार किया गया है, प्यार का मूल्य क्या है और प्यार का प्रेमि और प्रेमिका के स्वायत्त्तता पर क्या प्रभाव है इत्यादि विषयों पर घौर करता है़।

§प्यार करने के तरीके[संपादित करें]

  • अपने अतीत को स्वीकार करना
अगर किसी वजह से अतीत में आपको दुख पहुंचा है तो उसका सामना करना चाहिए ताकि आप किसी से प्यार कर सके, वरना आपको लगेगा कि अतीत में जो कार्य आपने किया है इसके वजह से आप अप्रिय है या प्यार के लायक नही है। आपको ये भी लग सकता कि पुराने रिश्ते सफल नही हुए तो भविश्य में भी आपका कोई रिश्ता सफल नही होगा। इसिलिये आपको अपने अतीत को स्वीकार करके उसे माफ करके ज़िन्दगी में आगे बढना चाहिए।
  • अपने आप से प्यार करना
दूसरों से प्यार करने से पहले अपने आप से प्यार करना ज़रूरी होता है। ये हमें प्रेम का अनुभव करना सिखाता है। इससे दूसरों को भी अन्दाज़ा हो जायेगा की आप प्यार करने लायक हो और ये आपको एक बेहतर प्रेमि बनाने में मदद करेगा क्योंकि आप आत्म संदेह और अविश्वास से पीडित नही रहेंगे।
  • आपके पास दूसरों को देने के लिये कुछ होना चहिये
जब भी आप किसी रिश्ते को शुरु करते हैं चाहे वो रोमानी रिश्ता हो या आदर्शवादि, आपके पास इस रिश्ते को देने के लिये कुछ होना चहिये वरना आपके साथी को लगेगा कि आप इस रिश्ते को लेकर गंभीर नही है। आपको अपने रिश्ते को वक़्त, प्यार, सम्मान इत्यादि देना चाहिये।
  • आपको आलोचनीय होना चाहिये
आप प्यार में है तो इसका मतलब है कि आपको ज़रूर पीडा होगी, ये आम बात है। लेकिन अगर आप सच्छा प्यार चाह्ते हैं तो आपको खुले रेहना चाहिये, आपके साथी से कोई राज़ नही रखना चाहिये। आप उनके सामने कोई ढोंग मत रचाइये, आप उनको अपनी वास्तविकता दिखाइए और आपको जानने का मौका दीजिए।
  • आपको हर किसी का सम्मान करना चाहिये
ज़िन्दगी में सबका आदर करिए, अपने दोस्तों का, अपने माता-पिता का, अपने प्रेमि-प्रेमिका का सबका आदर आपको करना चाहिये। प्यार में आदर होना बहुत ज़रूरी है। आप जिनसे प्यार करते हैं उनका आदर भी कीजिए वरना ये माना जायेगा कि आप उनसे प्यार ही नही करते। आपको समझना होगा कि आप जिनसे प्रेम करते हैं उनके भी खुद के सपनें और इच्छाऍं और गुप्त्ता और गरिमा का अधिकार होता है।
  • उत्तामता की कामना मत कीजिए
आप खुद से या जिस इनसान से आप प्यार करते हैं उनसे उत्तमता की कामना ना करें। इससे अवास्तविक उम्मीदें स्थापित हो जाती हैं। अंत मे कोई इन उम्मीदों पर खरा उतर नही पायेगा और ये आप दोनों को दुखी और निराश कर देगा।
  • याद रखे की सब बराबर है
अगर आप किसी भी रिश्ते को आगे बडाना चाह्ते हैं तो ये याद रखिए की आप किसी से कम नही है और ना ही कोई और आप से कम है। हम सब उचित विचारों के साथ, मुश्किलों के साथ और आस्था के साथ समान है।
  • आपको हर मुद्दे को सबी पक्षों की ओर से देखना चाहिए
कोई खुद को गलत साबित होते हुवे नही देखना चाहता, लेकिन जब सब खुद को सही बता रहे हैं तो किसी एक इनसान की गलती तो ज़रूर होगी। अगर हम किसी मुद्दे पर असहमत है तो इसका मतलब ये है कि किसी हद तक हम भी गलत है। अगर आप खुद को ही सही साबित करते रहे तो आपके साथी को इससे बहुत चोट पहुंचेगी और अपके रिश्ते में दरार भी आ सकती है।
  • स्पष्ट रूप से और अकसर संवाद करें
किसी भी रिश्ते को कायम रखने के लिये अकसर संवाद करना ज़ारूरी है। ज़रूरी नही है कि आप हमेशा इदर-उदर की बातें करे, आपको ऐसी बातें करनी चाहिये जो आपके जीवन और कार्य पर प्रभाव करती है। अपको अपनी मुश्किलों के बारे मे भी बात करनी चाहिए।

§प्यार जताने के लिये टिप्स[संपादित करें]

अगर आप अपने साथी के होंठों पर मुस्कान देखना चाहते हैं तो हम बताते हैं उसके लिए कुछ टिप्स, जिससे वह खुश हो जाएंगी। तो लीजिए पेश है नाजुक से उपाय, उनकी मीठी-सी मुस्कान के लिए -
  • उनसे कहें कि वह खूबसूरत है।
  • उनका हाथ कुछ सेकंड के लिए जरूर थामें।
  • उन्हें बारबार यह बात कहते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
  • अगर वह परेशान है तो उन्हें गले लगाकर इस बात का एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए कितना मायने रखती हैं।
  • उनकी छोटी-छोटी बातों का भी खयाल रखें, क्योंकि यह प्यार का बहुत जरूरी हिस्सा होता है।
  • कभी-कभी उनके पसंदीदा गाने भी उन्हें सुनाएं, चाहे आपकी आवाज कितनी भी खराब क्यों न हो।
  • उनके दोस्तों के साथ भी कुछ समय बिताएं।
  • अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से भी उन्हें मिलाएं, इससे आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
  • पार्क लेकर घूमने जाएं और अपने दिल की बात कहें।
  • हंसाने के लिए जोक्स सुनाएं।
  • उन्हें कभी-कभी अपने कंधों पर उठाएं।
  • उनके लिए फूलों का तोहफा ले जाएं।
  • अपने दोस्तों के बीच भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप अकेले में करते हैं।
  • उनकी आंखों में देखकर मुस्कुराएं।
  • आपकी जो तस्वीर उन्हें पसंद हो वो उन्हें जरूर दें।
  • हमेशा अपने प्यार का इजहार करते रहें।

§संदर्भ[संपादित करें]

https://www.google.co.in/search?q=love&oq=love&aqs=chrome.0.69i59j69i57j69i60l4.3778j0j7&sourceid=chrome&espv=210&es_sm=93&ie=UTF-8# https://www.google.co.in/search?q=love&oq=love&aqs=chrome.0.69i59j69i57j69i60l4.3778j0j7&sourceid=chrome&espv=210&es_sm=93&ie=UTF-8# https://www.google.co.in/search?newwindow=1&espv=210&es_sm=93&q=love+in+hindi&oq=love+in+hindi&gs_l=serp.3...1236846.1238950.0.1239325.9.9.0.0.0.0.242.1086.1j2j3.6.0....0...1c.1.32.serp..5.4.605.q66pYSvO8I8

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