गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

रॉन्ग नंबर/ चित्रगुप्त

 रॉन्ग नंबर / चित्रगुप्त 

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ट्रेंग ट्रेंग..... अननोन नंबर देखकर थोड़ा सोचा फिर फोन उठा लिया। 


"हेलो...."


"इत्ती देर से फोन कर रही हूँ आखिर उठा काहे नहीं रहे थे? किसी नजारे को देखने में मगन थे क्या?"


"अनजान नंबर से काल आ रही थी तो......"


 बात पूरी होने से पहले ही काट दी गई--


"इसका मतलब मेरा नंबर भी सेव नहीं है क्या तुम्हारी मोबाइल में...? तुम्हें क्या तुम्हें तो अपनी सीता गीता रीता से फुरसत मिले तब न...जनाब के मोबाइल में दुनिया जहान का नंबर सेव रहता है बस बीवी का ही नंबर नहीं रहता.... तुम बाकी छोड़ो ये तो घर आओ फिर निपट लूँगी... सामान नोट करो वो लेकर आ जाना" मैडम  का जोश मिनट दर मिनट बढ़ता ही जा रहा था।


"जी बोलिये..."


"बड़ा जी जी कर रहे हैं आज फिर चढ़ा ली क्या..." इस बार तिलमिलाहट में दांत पीसने की आवाज भी सुनी जा सकती थी।


"जी..."


" रहोगे अपनी मां की तरह ढपोरशंख ही, जैसे वो दिन भर राम राम करती फिरती हैं लेकिन खटमल की तरह खून पीने का एक भी मौका नहीं छोड़ती...हुंह तुम सामान लिखो और लेकर घर आओ फिर बताती हूँ।"


"जी"


"फिर जी.... तुमको न तुम्हारी बहन का जीजा बना दूंगी सामान लिखो...." वो लगभग चिल्लाते हुए बोले जा रही थीं।


"बताइए"


"आलू पांच किलो, टमाटर एक पौवा, सोया वाला साग एक गड्डी, सौ ग्राम धनिया पत्ती, एक पाव लहसुन, आधा किलो प्याज..... लिख रहे हो न?" उसने फिर दांत पीसा...


"लिख रहा हूँ....."


"लिख रहे हो तो हूँ हाँ कुछ तो बोलो.... किस्मत फूट गई मेरी जो तुम्हारे जैसे निकम्मे से शादी हुई...लिखो ... साबूदाना एक किलो, चीनी दो किलो, चायपत्ती एक पैकिट.....ठीक है इतना लेकर आ जाओ बाकी घर मे आकर पर्चा बना लेना फिर जाना" लंबी सांसें छोड़ते हुए मोहतरमा की लिस्ट समाप्त हुई।


"जी सामान तो ले आऊंगा पर घर का पता तो बता दो"


"घर का पता.... तुम सुमित के पापा नहीं बोल रहे"


"नहीं.... हेलो ...हेलो ..."


उसके बाद फोन कट गया,, अब काल बैक कर रहा हूँ  तो उठ नहीं रहा....बिजी बता रहा है। मैं यहाँ बैठा उन भाई साब की खैर मना रहा हूँ जिनका नंबर अब लगा होगा...

#चित्रगुप्त

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