रविवार, 17 जुलाई 2022

आ गया फिर एकबार.../ अरविंद अकेला



आ गया फिर एकबार सावन


आ गया फिर एकबार सावन,

करके मन को पावन-पावन,

देखो कैसी रूत हुयी सुहानी,

देखकर मन हो रहा मनभावन।

     आ गया फिर एकबार...।


चहुँओर ओर हरियाली छायी,

सबके चेहरे पर खुशियाँ आयी,

गोरी का मन खिल उठा है,

आये जबसे उसके साजन।

      आ गया फिर एकबार...।


उमड़-उमड़कर बदरा छाये,

बदरा देख सबके मन भाये,

मन मयूर नाच उठा रजनी का,

आये जबसे उसके राजन।

      आ गया फिर एकबार...।


भोले भी अब लगे मुस्कुराने,

भक्त लगे अब आने-जाने,

गूँज रहा कावरियों का नारा,

प्रकृति लगने लगी  सुहावन।

      ।


सावन देख खुश हो रहा "अकेला"

छोड़कर इस दुनियाँ का झमेला,

मौसम भी अब बेईमान हुआ है,

देखकर अपना प्यारा सावन।

      आ गया फिर एकबार...।

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      अरविन्द अकेला,

पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27

1 टिप्पणी:

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