बुधवार, 10 अगस्त 2022

हिंदी की आरती

 हिंदी की आरती 

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भारती भाषा प्यारी की।

आरती हिन्दी न्यारी की।।

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वर्ण हिंदी के अति सोहें,

शब्द मानव मन को मोहें।

काव्य रचना सुडौल सुन्दर 

वाक्य लेते सबका मन हर।

छंद-सुमनों की क्यारी की 

आरती हिंदी न्यारी की।।

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रखे ग्यारह-तेरह दोहा,

सुमात्रा-लय ने मन मोहा।

न भूलें गति-यति बंधन को-

न छोड़ें मुक्तक लेखन को।

छंद संख्या अति भारी की 

आरती हिन्दी न्यारी की।।

*

विश्व की भाषा है हिंदी,

हिंद की आशा है हिंदी।

करोड़ों जिव्हाओं-आसीन 

न कोई सकता इसको छीन। 

ब्रम्ह की, विष्णु-पुरारी की 

आरती हिन्दी न्यारी की।।

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