शनिवार, 14 जनवरी 2023

पवित्र बंधन

 *इस समाज में एक रिश्ता ऐसा भी है जहां तीखी नोकझोंक भी होती है,*


*तकरार भी होता है*,

 *युद्ध भी होता है।*

*परन्तु*

*छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर*

*जब पुनः मिलन होता है*  *रहीम का लिखा दोहा भी* *झूठा हो जाता है।*


*रहिमन धागा प्रेम का , मत तोड़ो चटकाय ।*

*टूटे पर फिर ना जुड़े , जुरे गाँठ पड़ जाय ।।*


*समाज में अक्सर देखा गया है अनुभव किया गया है पति* *पत्नी के रिश्ते में* *मिलन के बाद गांठ नहीं रह जाती*


* कारण इस रिश्ते को पवित्र बंधन कहा जाता है।*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...