शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

महाभारत और हनुमान जी


महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी.. कभी-कभी खड़े हो कर कौरवों की सेना की और घूर कर देखते.. 

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तो उस समय कौरवों की सेना तूफान की गति से युद्ध भूमि को छोड़ कर भाग जाती... हनुमानजी की दृष्टि का सामना करने का साहस किसी में नही था... 

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उस दिन भी ऐसा ही हुआ था.. जब कर्ण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था।

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कर्ण अर्जुन पर अत्यंत भयंकर बाणों की वर्षा किये जा रहा था... उनके बाणों की वर्षा से श्रीकृष्ण को भी बाण लगते गए... 

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अतः उनके बाण से श्रीकृष्ण का कवच कटकर गिर पड़ा और उनके सुकुमार अंगो पर बाण लगने लगे।

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रथ की छत पर बैठे पवनपुत्र हनुमानजी  एक टक नीचे अपने इन आराध्य की और ही देख रहे थे।

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श्रीकृष्ण कवच हीन हो गए थे.. उनके श्री अंग पर कर्ण निरंतर बाण मारता ही जा रहा था.. 

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हनुमानजी से यह सहन नही हुआ.. आकस्मात् वे उग्रतर गर्जना करके दोनों हाथ उठाकर कर्ण को मार देने के लिए उठ खड़े हुए।

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हनुमानजी की भयंकर गर्जना से ऐसा लगा मानो ब्रह्माण्ड फट गया हो.. कौरव- सेना तो पहले ही भाग चुकी थी.. अब पांडव पक्ष की सेना भी उनकी गर्जना के भय से भागने लगी...

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हनुमानजी का क्रोध देख कर कर्ण के हाथ से धनुष छूट कर गिर गया।

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भगवान श्रीकृष्ण तत्काल उठकर अपना दक्षिण हस्त उठाया.. और हनुमानजी को स्पर्श करके सावधान किया.. रुको ! आपके क्रोध करने का समय नही है।

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श्रीकृष्ण के स्पर्श से हनुमान जी रुक तो गए किन्तु उनकी पूंछ खड़ी हो कर आकाश में हिल रही थी.. 

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उनके दोनों हाथों की मुठ्ठियाँ बन्द थीं.. वे दाँत कट- कटा रहे थे.. और आग्नेय नेत्रों से कर्ण को घूर रहे थे.. 

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हनुमानजी का क्रोध देख कर कर्ण और उनके सारथी काँपने लगे।

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हनुमानजी का क्रोध शांत न होते देख कर श्रीकृष्ण ने कड़े स्वर में कहा.. हनुमान ! मेरी और देखो.. 

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अगर तुम इस प्रकार कर्ण की ओर कुछ क्षण और देखोगे तो कर्ण तुम्हारी दृष्टि से ही मर जाएगा।

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यह त्रेतायुग नहीं है... आपके पराक्रम को तो दूर आपके तेज को भी कोई यहाँ सह नही सकता..

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आपको मैंने इस युद्ध मे शांत रहकर बैठने को कहा है।

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🙏🚩फिर हनुमान जी ने अपने आराध्यदेव की और नीचे देखा और शांत हो कर बैठ गए।


।।जय श्री कृष्णा।। 


।।शुभ प्रभात।।

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