प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
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एकबार की बात है की किसी राजा ने यह फैसला लिया के वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा !
एकदिन खीर वाले दूध में सांप ने मुंह डाला और दूध में विष डाल दी और ज़हरीली खीर को खाकर 100 के 100 अंधे व्यक्ति मर गए !
राजा बहुत परेशान हुआ कि मुझे 100 आदमियों की हत्या का पाप लगेगा ! राजा परेशानी की हालत में अपने राज्य को छोड़कर जंगलों में
भक्ति करने के लिए चल पड़ा ताकि इस पाप की माफी मिल सके !
रास्ते में एक गांव आया ! राजा ने चौपाल में बैठे लोगों से पूछा कि क्या इस गांव में कोई भक्ति भाव वाला परिवार है ? ताकि उसके घर रात काटी जा सके !
चौपाल में बैठे लोगों ने बताया कि इस गांव में दो बहन भाई रहते है जो खूब बंदगी करते है !राजा उनके घर रात ठहर गया !
सुबह जब राजा उठा तो लड़की सिमरन पर बैठी हुई थी ! इससे पहले लड़की का रूटीन था की वह दिन निकलने से पहले ही सिमरन से उठ जाती थी और नाश्ता तैयार करती थी ! लेकिन उस दिन वह लड़की बहुत देर तक सिमरन पर बैठी रही !
जब लड़की सिमरन से उठी तो उसके भाई ने कहा कि बहन तू इतना लेट उठी है अपने घर मुसाफिर आया हुआ है !
इसने नाश्ता करके दूर जाना है तुझे सिमरन से जल्दी उठना चाहिए था !
तो लड़की ने जवाब दिया कि भैया ऊपर एक ऐसा मामला उलझा हुआ था !
धर्मराज को किसी उलझन भरी स्थिति पर कोई फैसला लेना था और मैं वो फैसला सुनने के लिए रुक गयी थी इसलिए देर तक बैठी रही सिमरन पर ?
उसके भाई ने पूछा ऐसी क्या बात थी तो लड़की ने बताया कि फलां राज्य का राजा अंधे व्यक्तियों को खीर खिलाया करता था ! लेकिन सांप के दूध में विष डालने से 100 अंधे व्यक्ति मर गए !
अब धर्मराज को समझ नही आ रही कि अंधे व्यक्तियों की मौत का पाप राजा को लगे सांप को लगे या दूध नंगा छोड़ने वाले रसोईए को लगे !
राजा भी सुन रहा था ! राजा को अपने से संबंधित बात सुन कर दिलचस्पी हो गई और उसने लड़की से पूछा कि फिर क्या फैसला हुआ ?
लड़की ने बताया कि अभी तक कोई फैसला नही हो पाया था !
राजा ने पूछा कि क्या मैं आपके घर एक रात के लिए और रुक सकता हूं ?
दोनों बहन भाइयों ने खुशी से उसको हां कर दी !
राजा अगले दिन के लिए रुक गया, लेकिन चौपाल में बैठे लोग दिन भर यही चर्चा करते रहे कि ....
कल जो व्यक्ति हमारे गांव में एक रात रुकने के लिए आया था और कोई भक्ति भाव वाला घर पूछ रहा था ?
उस की भक्ति का नाटक तो सामने आ गया है ! रात काटने के बाद वो इस लिए नही गया क्योंकि जवान लड़की को देखकर उस व्यक्ति की नियत खोटी हो गई !
इसलिए वह उस सुन्दर और जवान लड़की के घर पक्के तौर पर ही ठहरेगा या फिर लड़की को लेकर भागेगा !
दिनभर चौपाल में उस राजा की निंदा होती रही !
अगली सुबह लड़की फिर सिमरन पर बैठी और रूटीन के टाइम अनुसार सिमरन से उठ गई !
राजा ने पूछा .... "बेटी अंधे व्यक्तियों की हत्या का पाप किसको लगा ?"
लड़की ने बताया कि .... "वह पाप तो हमारे गांव के चौपाल में बैठने वाले लोग बांट के ले गए !"
निंदा करना कितना घाटे का सौदा है ! निंदक हमेशा दुसरों के पाप अपने सर पर ढोता रहता है ! और दूसरों द्वारा किये गए उन पाप- कर्मों के फल को भी भोगता है ! अतः हमें सदैव निंदा से बचना चाहिए !
भक्त कबीर जी ने कहा है ....
जन कबीर को नींद सार !
निंदक डूबा हम उतरे पार !!
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