प्रस्तुति-- दिनेश सिन्हा/ रीना शरण
धर्म के बजाए कर्म का उपदेश देने वाली भगवत गीता के संस्कृत श्लोकों को शायरी में ढाल कर श्लोक को लोक तक पहुंचाने का करिश्मा उर्दू के विख्यात शायर अनवर जलालपुरी ने किया है.
दुनिया भर में मुशायरों के लोकप्रिय संचालक और लाजवाब शायरी के लिए मशहूर
अनवर जलालपुरी कभी "डेढ़ इश्किया" में मुशायरा पढ़ते हुए दिखते हैं तो कभी
"अकबर द ग्रेट" के गीतकार के रूप में सामने आते हैं. लेकिन इस बार एक नई
शक्ल में सामने आए हैं, "उर्दू शायरी में गीता" लेकर. इसमें उन्होंने भगवत
गीता के 18 अध्यायों के 701 संस्कृत श्लोकों का दो पंक्तियों वाले करीब
1761 शेर में काव्यानुवाद किया है. गीता को शायराना शक्ल देने में उन्हें
करीब 32 वर्ष लगे. उनके मुताबिक गीता धार्मिक नहीं बल्कि दार्शनिक ग्रंथ
है. इसका अपना दर्शन है. इस ग्रंथ की आत्मा यही है जिसने उन्हें बचपन से ही
बहुत प्रभावित किया.
लेकिन गीता पर पीएचडी करने की अपनी हसरत अनवर जलालपुरी पूरी नहीं कर पाए. बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन हालात ने साथ नहीं दिया. पर गीता का उपदेश दिल में समा गया था कि फल की चिंता मत कर. काम किए जा, तो जो दिल में कसक बाकी थी उससे धीरे धीरे गीता के श्लोकों को गजल के मीटर पर कसने लगे. गजल की बहर में गीता के श्लोकों को बांधना आसान काम नहीं था. बताते हैं कि कई बार तो एक श्लोक के काव्यानुवाद में गजल के छह छह मिसरे कहनी पड़ीं.
उर्दू शायरी में ढले गीता के श्लोकों के कुछ उदाहरण:
हां धृतराष्ट्र आखों से महरूम थे
मगर ये न समझो कि मासूम थे
इधर कृष्ण अर्जुन से हैं हमकलाम
सुनाते हैं इंसानियत का पैगाम
अजब हाल अर्जुन की आखों का था
था सैलाब अश्कों का रुकता भी क्या
बढ़ी उलझनें और बेचैनियां
लगा उनको घेरे हैं दुश्वारियां
तो फिर कृष्ण ने उससे पूछा यही
बता किससे सीखी है यह बुजदिली
भगवत गीता का यह पहला अनुवाद नहीं है. इससे पहले भी विभिन्न भाषाओं में गीता के अनुवाद हो चुके हैं. लेकिन अनवर जलालपुरी ने काव्यानुवाद किया है. यह अपने आप में पहला है. बताते हैं कि गीता के काव्यानुवाद के लिए उन्होंने ओशो, पंडित सुंदरलाल और अजमल खां की गीता के अलावा महात्मा गांधी की "गीता बोध" का भी अध्ययन किया. उन्होंने मनमोहन लाल छाबड़ा की "मन की गीता", अजय मालवीय तथा स्वामी रामसुखदास की गीता को भी पढ़ा. असनुदोई अहमद तथा ख्वाजा दिल मोहम्मद लाहौरी की "दिल की गीता" का भी अध्ययन कर उन्होंने गीता का शायराना नुस्खा पेश किया.
अदब और तहजीब के शहर लखनऊ में "उर्दू शायरी की गीता" का विमोचन करते हुए यूपी के सीएम अखिलेश ने कहा कि "ऐसे वक्त में जब देश में बड़ा राजनीतिक समर खत्म हुआ हो, यह किताब आना निहायत ही प्रासंगिक है. गीता हमेशा हम भारतीयों का मनोबल बढ़ाती है." विमोचन अवसर पर राम कथा वाचक संत मोरारी बापू बोले "मेरा यकीन है कि यह किताब दो अलग अलग संस्कृतियों को करीब लाएगी. श्लोक को लोक तक लाने का बेहतरीन काम उन्होंने शुरु किया है. मोरारी बापू ने कहा कि रामचरित मानस का भी उर्दू में तर्जुमा आना चाहिए.
रिपोर्ट: सुहैल वहीद, लखनऊ
संपादन: मानसी गोपालकृष्णन
लेकिन गीता पर पीएचडी करने की अपनी हसरत अनवर जलालपुरी पूरी नहीं कर पाए. बताते हैं कि यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन हालात ने साथ नहीं दिया. पर गीता का उपदेश दिल में समा गया था कि फल की चिंता मत कर. काम किए जा, तो जो दिल में कसक बाकी थी उससे धीरे धीरे गीता के श्लोकों को गजल के मीटर पर कसने लगे. गजल की बहर में गीता के श्लोकों को बांधना आसान काम नहीं था. बताते हैं कि कई बार तो एक श्लोक के काव्यानुवाद में गजल के छह छह मिसरे कहनी पड़ीं.
उर्दू शायरी में ढले गीता के श्लोकों के कुछ उदाहरण:
हां धृतराष्ट्र आखों से महरूम थे
मगर ये न समझो कि मासूम थे
इधर कृष्ण अर्जुन से हैं हमकलाम
सुनाते हैं इंसानियत का पैगाम
अजब हाल अर्जुन की आखों का था
था सैलाब अश्कों का रुकता भी क्या
बढ़ी उलझनें और बेचैनियां
लगा उनको घेरे हैं दुश्वारियां
तो फिर कृष्ण ने उससे पूछा यही
बता किससे सीखी है यह बुजदिली
भगवत गीता का यह पहला अनुवाद नहीं है. इससे पहले भी विभिन्न भाषाओं में गीता के अनुवाद हो चुके हैं. लेकिन अनवर जलालपुरी ने काव्यानुवाद किया है. यह अपने आप में पहला है. बताते हैं कि गीता के काव्यानुवाद के लिए उन्होंने ओशो, पंडित सुंदरलाल और अजमल खां की गीता के अलावा महात्मा गांधी की "गीता बोध" का भी अध्ययन किया. उन्होंने मनमोहन लाल छाबड़ा की "मन की गीता", अजय मालवीय तथा स्वामी रामसुखदास की गीता को भी पढ़ा. असनुदोई अहमद तथा ख्वाजा दिल मोहम्मद लाहौरी की "दिल की गीता" का भी अध्ययन कर उन्होंने गीता का शायराना नुस्खा पेश किया.
अदब और तहजीब के शहर लखनऊ में "उर्दू शायरी की गीता" का विमोचन करते हुए यूपी के सीएम अखिलेश ने कहा कि "ऐसे वक्त में जब देश में बड़ा राजनीतिक समर खत्म हुआ हो, यह किताब आना निहायत ही प्रासंगिक है. गीता हमेशा हम भारतीयों का मनोबल बढ़ाती है." विमोचन अवसर पर राम कथा वाचक संत मोरारी बापू बोले "मेरा यकीन है कि यह किताब दो अलग अलग संस्कृतियों को करीब लाएगी. श्लोक को लोक तक लाने का बेहतरीन काम उन्होंने शुरु किया है. मोरारी बापू ने कहा कि रामचरित मानस का भी उर्दू में तर्जुमा आना चाहिए.
रिपोर्ट: सुहैल वहीद, लखनऊ
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- तारीख 27.05.2014
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