प्रस्तुति-- प्यासा रुपक,
आरा | |
— जिला मुख्यालय — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | बिहार |
ज़िला | भोजपुर |
महापौर | अवधेश यादव |
जनसंख्या | २०३,३९५ (२००१ के अनुसार ) |
आधिकारिक जालस्थल: http://bhojpur.bih.nic.in |
आरा भारत प्रांत के बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर है। यह भोजपुर जिले का मुख्यालय है। राजधानी पटना से इसकी दूरी महज 55 किलोमीटर है। देश के दूसरे भागों से ये सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यह नगर वाराणसी से 136 मील पूर्व-उत्तर-पूर्व, पटना से 37 मील पश्चिम, गंगा नदी से 14 मील दक्षिण और सोन नदी से आठ मील पश्चिम में स्थित है। यह पूर्वी रेलवे की प्रधान शाखा तथा आरा-सासाराम रेलवे लाइन का जंकशन है। डिहरी से निकलने वाली सोन की पूर्वी नहर की प्रमुख 'आरा नहर' शाखा भी यहाँ से होकर जाती है। आरा को 1865 में नगरपालिका बनाया गया था।
गंगा और सोन की उपजाऊ घाटी में स्थित होने के कारण यह अनाज का प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र तथा वितरणकेंद्र है। रेल मार्ग और पक्की सड़क द्वारा यह पटना, वाराणसी, सासाराम आदि से सीधा जुड़ा हुआ है। बहुधा सोन नदी की बाढ़ों से अधिकांश नगर क्षतिग्रस्त हो जाता है।
अनुक्रम
इतिहास
आरा अति प्राचीन शहर है। पहले यहां मयुरध्वज नामक राजा का शासन था। महाभारत कालीन अवशेष यहां के बिखरे पड़े हैं। ये 'आरण्य क्षेत्र' के नाम से भी जाना जाता था।[1] कहा जाता है आरा का प्राचीन नाम आराम नगर भी था|[2]आरा अति प्राचीन ऐतिहासिक नगर है जिसकी प्राचीनता का संबंध महाभारत काल से है। पांडवों ने भी अपना गुप्तवास काल यहाँ बिताया था। जेनरल कनिंघम के अनुसार युवानच्वांग द्वारा उल्लिखित कहानी का संबंध, जिसमें अशोक ने दानवों के बौद्ध होने के संस्मरण स्वरूप एक बौद्ध स्तूप खड़ा किया था, इसी स्थान से है। आरा के पास मसार ग्राम में प्राप्त जैन अभिलेखों में उल्लिखित 'आरामनगर' नाम भी इसी नगर के लिए गया है। पुराणों में लिखित मोरध्वज की कथा से भी इस नगर का संबंध बताया जाता है। बुकानन ने इस नगर के नामकरण में भौगोलिक कारण बताते हुए कहा कि गंगा के दक्षिण ऊँचे स्थान पर स्थित होने के कारण, अर्थात् आड़ या अरार में होने के कारण, इसका नाम 'आरा' पड़ा। 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रतायुद्ध के प्रमुख सेनानी बाबू कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने का गौरव भी इस नगर को प्राप्त है।[3] [4] आरा स्थित 'द लिटल हाउस' एक ऐसा भवन है, जिसकी रक्षा अंग्रेज़ों ने 1857 के विद्रोह में बाबू कुंवर सिंह से लड़ते हुए की थी। आरा 1971 के पांचवीं लोकसभा चुनाव तक शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। 1977 के दौरान आरा को अलग संसदीय क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली और तब आरा अस्तित्व में आया|[5]
सांस्कृतिक गतिविधियाँ
आरा सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है। आरा में कई रंगसंस्थाएं हैं जो अक्सर अपनी रंग प्रस्तुतियों के जरिए लोगों का मनोरंजन और शिक्षा के साथ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक बनाती रही हैं। युवानीति, दृष्टिकोण, कमायनी, भूमिका, अभिनव, रंगभूमि जैसी संस्थाएं आरा में कई रंगप्रस्तुतियां करती रही हैं। डॉ श्याम मोहन अस्थाना, सिरिल मैथ्यू, नवेन्दु, श्रीकांत, सुनील सरीन, अजय शेखर प्रकाश, श्रीधर ने आरा रंगमंच के विकास के लिए काफी योगदान दिया है। महिला रंगकर्मियों में छंदा सेन का नाम प्रमुख है जो लंबे समय तक रंगमंच पर सक्रिय रही हैं।वाणिज्यिक गतिविधियाँ
कृषि, व्यापार और तेल निकालना यहाँ की प्रमुख वाणिज्यिक गतिविधियाँ है।शिक्षा
यहाँ वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय और अनेक महाविद्यालय हैं। प्रोफेसर मिथिलेश्वर, उर्मिला कौल, मधुकर सिंह, अनंत कुमार सिंह, नीरज सिंह, निलय उपाध्याय, जवाहर पाण्डेय जैसे लोग समाकालिन साहित्य को दिशा दे रहे हैं। भोजपुर कंठ, आरण्य ज्योति जैसे दो पाक्षिक अखबार लम्बे समय से प्रकाशित हो रहे हैं। कभी टटका नामक भोजपुरी अखबार भी आरा से प्रकाशित होता था। बीच के दिनों में शाहाबाद भूमि और समकालीन भोजपत्र नामक पाक्षिकों का प्रकाशन शुरू हुआ जो अब बंद है। मित्र और जनपथ नामक साहित्यिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित हो रही हैं। जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ और अखिल भारतीय साहित्य परिषद की इकाईयां शहर में सक्रिया हैं। अभी भोजपुरी भाषा के कई लेखक और उनके संगठन भी शहर में सक्रिय हैं। आरा शहर में कई पुरानी ऐतिहासिक इमारते हैं। महाराजा कॉलेज परिसर स्थित आरा हाउस, रमना मैदान के पास का चर्च, बड़ी मस्जिद, नागरी प्रचारिणी सभागार सह पुस्तकालय, बाल हिन्दी पुस्तकालय, श्री जैन सिद्धांत भवन आदि प्रमुख स्थान हैं। शहर में जैन समुदाय के कई प्राचीन मंदिर हैं। जैन बाला विश्राम नामक पुराना छात्राओं का स्कूल भी यहां है। हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, महाराजा कॉलेज, सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज, जगजीवन कॉलेज, महंत महादेवानंद महिला कॉलेज अंगीभूत कॉलेज हैं। इसके अलावे भी कई छोटे -मोटे कॉलेज और स्कूल शहर की शैक्षणिक पहचान दिलाते हैं। डेढ़ दशक पहले यहां वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। आऱा ने जगजीवन राम, राम सुभग सिंह, अंबिका शरण सिंह, रामानंद तिवारी जैसे नेता दिये।दर्शनीय स्थल
आरा के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का राम मन्दिर प्रसिद्ध है। शहर में बुढ़वा महादेव, पतालेश्वर मंदिर, रमना मैदान का महावीर मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर प्रमुख हैं। शहर का बड़ी मठिया नामक विशाल धार्मिक स्थान है। शहर के बीचोबीच अवस्थित बड़ी मठिया रामानंद सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है। वाराणसी की तर्ज पर मानस मंदिर भी निर्माणाधीन है। आरा शहर के कई लोगों ने शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद किया है। यहां की आरण्य देवी बहुत प्रसिद्ध है। संवत् 2005 में स्थापित आरण्य देवी का मंदिर आरा में मुख्य आकर्षण का केंद्र है| इस ऐतिहासिक देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए जुटते है।[6] [7]जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार आरा शहर की कुल जनसंख्या 2,03,395 है।सन्दर्भ
- "आरण्य देवी मंदिर". आरण्य देवी मंदिर. अभिगमन तिथि: १६ दिसम्बर २०१४.
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