शुक्रवार, 18 मार्च 2022

बुरा न माno होली हैं / सुभाष चंदर

 लीजिये साहब कुछ होली टाइटल हमने भी बनाये हैं। सो पहली किश्त जारी कर रहे हैं । बुरा जरूर मानना, होली है  :)


हिन्दी के व्यंग्यकार -होलियाना उपाधियाँ 

गोपाल चतुर्वेदी   –  भीष्म पितामह 

अजातशत्रु – परसाई नम्बर 2

सूर्यबाला (Suryabala Lal मेरे व्यंग्य शाकाहारी होते हैं 

ज्ञान चतुर्वेदी Gyan Chaturvedi – मैं तो व्यंग्य का भगवान हूँ। भगवान की आलोचना कोई कैसे कर सकता है ?

हरीश नवल Harish Naval – मैडम जी ,आपकी स्माइल बहुत अच्छी है 

प्रेम जनमेजय प्रेम जनमेजय  –योग्य लोगों को ही पुरस्कार देता हूँ 

विष्णु नागर Vishnu Nagar  – हम भी मुंह में जुबान रखते हैं 

अनूप श्रीवास्तव  -सारी लेखिकाओं को व्यंग्यकार बनाऊँगा 

हरि जोशी Hari Joshi  – हिन्दुस्तानी प्याला ,अमेरिकन चाय 

 अरविन्द तिवारी – शिकायतें बहुत सारी 

 जवाहर चौधरी Jawahar Choudhary – टापू पर अकेला 

 अश्विनी कुमार दुबे Ashwini Kumar Dubey – जरा सामने तो आओ छलिये 

 गिरीश पंकज   – भोला भण्डारी 

सुभाष चंदर – इस बार व्यंग्य की किताब आई है 

ईश्वर शर्मा -कभी हम भी व्यंग्य लिखते थे 

संतोष खरे Santosh Khare  – मेरा तो वकालतनामा भी व्यंग्य मे है 

दामोदर दत्त दीक्षित  – श्रीलालजी की विरासत मेरे ही पास है 

आलोक पुराणिक Alok Puranik – डाइटिंग का रोल मॉडल

कैलाश मंडलेकर – इत्ते सालों की तपस्या के बाद ‘ज्ञान’ मिला है

महेंद्र कुमार ठाकुर – पोथी पत्रे वाले व्यंग्यकार 

यशवंत व्यास – व्यंग्य की लाल मिर्च 

 पिलकेन्द्र अरोड़ा- Pilkendra Arora  यार ,ये पुरस्कार अच्छा लिखनेवालों को भी मिलते हैं क्या ? 

हरीश कुमार सिंह Harish Kumar Singh – चुपचुप खड़े हो ,जरूर कोई बात है 

राम स्वरूप दीक्षित Ram Swaroop Dixit – बस अब महिला व्यंग्यकारों का  ग्रुप बनाना है 

शांतिलाल जैन – ज्ञान प्राप्ति की ओर अग्रसर 

पूरन सरमा- Pooran Sarma  मेरी बकरी व्यंग्य कथा ही चाव से खाती है

श्रवण कुमार उर्मलिया   - हर गुट में 

अजय अनुरागी Ajay Anuragi  - जयपुर में तो फुल तमाशा है 

यशवंत कोठारी    - कोठरी में  बल्ब लगवाना है जी

राम किशोर उपाध्याय - राम जी की गाय 

रमेश सैनी  - व्यंग्य धारा का तैराक

ब्रजेश कानूनगो  - व्यंग्य में भलेे आदमी 

बुलाकी शर्मा Bulaki Sharma -   व्यंग्य लिखूँ कि चश्मा संभालूं ? 

- (दूसरी किश्त) 

बुरा जरूर मानना जी, होली है :) 

व्यंग्यकारों के टाइटल 

सुधीर ओखदे Sudhir Okhade  - जलगांव का व्यंग्य कड़क होता है साहब

अरुण अर्णब खरे Arun Arnaw Khare  - व्यंग्य लिखने का वक्त ही ना मिल रहा

सुभाष राय  subhash Rai -  इतने व्यंग्य छापे हैं, पद्मश्री तो बनता है जी

 सूर्य कुमार पांडे :  Suryakumar Pandey  : कविताओं से ज्यादा हँसी तो मुझे देखकर ही आ जाती है

श्रीकांत चौधरी Shrikant Choudhary - सब गलत हाथों में है

 सूर्यदीप कुशवाहा Suryadeep Kushwaha - हम भी लाइन में हैं


महेश चंद्र द्विवेदी Mahesh Chandra Dewedy - व्यंग्य मे भी डी. जी. की पोस्ट होती है क्या 

कमलेश पांडे Kamlesh Pandey - अब सर्टिफ़ाइड व्यंग्यकार हूँ। 

नीरज बधवार Neeraj Badhwar - वीडियो वाला व्यंग्यकार

पीयूष पांडे Piyush Pandey  - पत्रकारिता के ठेले पर व्यंग्य की दुकानदारी

अनुज खरे Anuj Khare - हम तो सबके अनुज हैं जी

राजेंद्र वर्मा- व्यंग्य और ग़ज़ल की जुगलबंदी

जगदीश ज्वलंत Jagdeesh Jwalant  - हम सचमुच  व्यंग्य लिखते हैं जी

स्नेहलता पाठक - व्यंग्य वाली बहन जी

शेफाली पांडे Shefali Pande - कभी हम भी व्यंग्य लिखते थे

अर्चना चतुर्वेदी   - मेरी दुश्मन बनाने की फैक्ट्री है

अनिता यादव - व्यंग्य से मान जावै तो ठीक, वरना लाठी भी चलानी आवै है

समीक्षा तेलंग Samiksha Telang  - चंबल की शेरनी

नीरज शर्मा Niraj Sharma -  डॉक्टर कम प्रकाशक कम व्यंग्यकार 

आभा सिंह नागपुर - बिना शोर के काम 

इंद्रजीत कौर Indrajeet Kaur - याद रखना, जीतेगा आखिर में कछुआ ही

शशि पांडे  - देखना मैं फिर से व्यंग्य लिखूंगी

मीना सदाना अरोड़ा Meena Sadana Arora - मैं तो बस व्यंग्यकारों पर लिखती हूँ

सीमा मधुरिमा  - मैं भी तो व्यंग्य लिखती हूँ

वीना सिंह Veena Singh - भली बालिका

पल्लवी त्रिवेदी - कभी पुलिस पर भी व्यंग्य लिखूंगी

मलय जैन - प्रोमोशन होते ही दूसरा उपन्यास लिख दूंगा

प्रभात गोस्वामी Prabhat Goswami  - असली विसंगति तो लेखकों में हैं जी

संजीव जयसवाल संजय  Sanjeev Jaiswal Sanjay  - व्यंग्य में भी दखल है साहब

सुरेश मिश्र उर्तृप्त  - हम तो गुरुओं के सहारे वैतरणी तर जायेंगे

विवेक रंजन श्रीवास्तव Vivek Ranjan Shrivastava 

 - परसाई जी के शहर के हैं साहेब

आरिफ़ा एविस Arifa Avis - शुरुआत तो अच्छी हुई थी

डॉ अतुल चतुर्वेदी  - गुरु की कृपा बिना मोक्ष नहीं मिलता

मधु आचार्य आशावादी Madhu Acharya Aashawadi  -किताबों की सेंचुरी वाला लेखक

अनूप शुक्ल - अनूप शुक्ल  कट्टा कानपुरी के कमेंट से सब डरते हैं

दिलीप तेतरबे Dilip Tetarbe - गालियों की कॉउंटिंग कभी गड़बड़ नहीं होती

मुकेश राठौर  - मत चूके चौहान

अलंकार रस्तोगी Alankar Rastogi - मॉडलिंग में जाना था

पंकज प्रसून  Pankaj Prasun - सुना तुमने, अनुपम खेर ने मेरी कविता पढ़ी थी

मुकेश जोशी  - ज्ञान जी का बहुत ध्यान रखता हूं

शशांक दुबे  - देखना, एक दिन कॉमेडी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखूंगा

शशिकांत सिंह  - तीखी मिर्ची

विनोद विक्की Vinod Vicky - व्यंग्य इवेंट मैनेजमेंट मे उस्तादी

मुकेश पोपली   - विट से भरी पोटली

सौरभ जैन - छोटा पैकेट, बड़ा धमाका

अभिषेक अवस्थी Abhishek Awasthi - मैं दिखने में ही भोला हूँ जी

लालित्य ललित - 1000 किताबों का टार्गेट है गुरु

सुरेश अवस्थी Kavi Suresh Awasthi  -दाढ़ी के बालों में छिपा व्यंग्य

प्रभाशंकर उपाध्याय Prabha Shankar Upadhyay - होशियारी मे निल बटे सन्नाटा हूँ जी

टीका राम साहू Tikaram Sahu Aazad - ना काहू से दोस्ती 

जय प्रकाश पांडे Jai Prakash Pandey - हम जो लिखे वही व्यंग्य है

सुभाष काबरा Subhash Kabra  - कभी तो चुटीले कमेंटों को अवार्ड मिलेगा

राजीव तनेजा राजीव तनेजा  - व्यंग्यकार कम समीक्षक कम एंकर

शंकर मुनि राय Shanker Muni Rai  - पत्नी चालीसा मैंने लिखी है

राजेंद्र सहगल Rajendra Sehgal  -वनलाईनर विशेषज्ञ

 मोहन  लाल मौर्य  - अपना कोई गॉड फादर ना है

राकेश सोहम  Rakesh Soham - अरे दीवानों मुझे पहचानो

मृदुल कश्यप  - नाम जरूर मृदुल है, मार तीखी है जी

शरद उपाध्याय Sharad Upadhyay - नींद खुल गयी

सूरज प्रकाश Suraj Prakash  -प्लीज़, मुझे भी व्यंग्यकार मान लो 

  राजशेखर चौबे Rajshekhar Choubey  - धार जल्दी आयेगी

डॉ गणेश राय - सर जी, हम भी वयंग लिखा हूँ

सुनील जैन राही Sunil Jain Raahi  - व्यंग्य का जिज्ञासु छात्र

अशोक व्यास Ashok Vyas  - मैं तो व्यंग्य मे ही गाता हूँ। 

संत राम पांडे Santram Pandey  - दाढ़ी व्यंग्यकार को ज्यादा जमती है

कृष्ण कुमार आशु  - मेरा तो मंजन भी  ईमानदार छाप है

संजीव निगम Sanjiv Nigam  - सब गांधी जी की कृपा है

आलोक सक्सेना Alok Saxena Satirist - हम भी हैं राह मे

नीरज दइया Neeraj Daiya - व्यंग्य लिखने से बाल उड़ जाते हैं 

गुरमीत बेदी Gurmit Bedi   व्यंग्य डिपार्टमेंट का पी आर ओ

धर्मपाल महेंद्र जैन Dharm Jain - कनाडा वाली व्यंग्य की दुकान

( अब थक गया। भूल चूक माफ)

1 टिप्पणी:

तलाक के बाद फिर से

 पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ़ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता ...