बुधवार, 15 जून 2022

मौसमी-कविता :/ सलिल पाण्डेय

 

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*बादल-परिवार का मौनव्रत*

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'न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी'

मुहावरे के 'ऐप' को 

बादलों ने भी अपने 'लैपटॉप' में

'डाऊनलोड' कर लिया

कटते हरे-भरे पेड़ों को

'गूगल' में देख-देख कर

पथरा गईं बादल-परिवार की आंखें

धरती को सूरज के हवाले कर

'मौन के योगाभ्यास' के लिए 

तान ली चादर

न झूमेंगे, न बरसेंगे

और न बहेगी ठंडी-ठंडी हवा

जीने के लिए 

मिल तो जाएगा ही इंजेक्शन और दवा।

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*सलिल पांडेय, मिर्जापुर।*

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