गुरुवार, 9 जून 2022

वापस घर नहीं जाना क्या /@उमाकांत दीक्षित

कहो, मुझे  पहचाना  क्या ? 

याद   नहीं   दीवाना  क्या ?   


आँख  उठाकर  देख  जरा,

मुझसे  भी  शरमाना  क्या ?  


राजनीति   के   जंगल   में,

अँधा क्या और काना क्या ?

                  

सब   चोरों   के  घर  जैसे, 

कोर्ट, कचहरी, थाना  क्या ?


सब   रक्खा   रह  जाएगा,      

माल,असबाब,खजाना क्या ?


दुनिया   भूल   भुलैया   है,

वापस घर नहीं जाना क्या ?

@उमाकांत दीक्षित

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