गुरुवार, 11 सितंबर 2014

अदम गोंडवी


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

महेंद्र अश्क़ की आहट पर कान किसका है?

 मैंने कानों से मयकशी की है,  जिक्र उसका शराब जैसा है Il महेंद्र अश्क़ की शायरी का संसार ll  देवेश त्यागी  नितांत निजी और सामाजिक अनुभूतियां ...