बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

जहां गणेश जी मांसाहारी है





  • श्रीकांत पाराशर
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  • प्रस्तुति- नीतिन पाराशर, दीपाली पाराशर

    कर्नाटक के कोप्पल कस्बे के निकट भाग्यनगर गांव के लोग एक अनोखी परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। यहां गणेशात्सव के मौके पर भगवान गणेश को मांसाहारी व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। अंडे, मटन, मछली से बने व्यंजनों के साथ-साथ नेवेद्य में बाकायदा शराब की बोतल भी रखी जाती है।
    भाग्यनगर गांव के सुभाष कृष्णाशा कटवा के घर पर जो प्रतिमा रखी गई है उसके सामने एक बड़ी थाली में ये व्यंजन रखे गए हैं और साथ में शराब की बोतल। सुभाष कटवा बताते हैं कि उनके पूर्वजों के समय से यह प्रथा चली आ रहीहै। गौरतलब है कि मूलत: मराठी पट्टेगार (क्षत्रिय जाति की एक उपजाति) जाति के कुछ पंथों में यह प्रथा प्रचलन में है। इतना ही नहीं, इनमें अलग-अलग गोत्र के परिवार अलग-अलग रंगों वाली गणेश प्रतिमाएं ही गणेशोत्सव के समय अपने घर में प्रतिष्ठापित करते हैं जैसे मेघरा, पवार तथा भविकट्टी गौत्र वाले परिवार लाल रंग की प्रतिमा जबकि कटवा गौत्र वाले परिवार सफेद रंग की प्रतिमा की पूजा करते हैं।
    फोटो सौजन्य : डेक्कन हेराल्ड
    दिनेशराय द्विवेदी said...
    यह एक महत्वपूर्ण सूचना है। आज के गणपति में भारत की जनजातियों के मुख्य देवताओं का समावेश है। इस कारण से इसे विचित्र नहीं कहा जा सकता है। वस्तुतः गणपति किसी गण का मुखिया भी होता है। उसे उन के गण में सर्वोत्तम माने जाने वाले आहार का ही भोग लगाया जाएगा। वे भारत की अवैदिक संस्कृति से विकसित हुए देवता हैं।

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