मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

बार बार बीमार क्यों?




*क्या वाकई इंसान बार बार बीमार होता है ?*

सभी अस्पतालों की OPD बन्द है,  आपातकालीन वॉर्ड में कोई भीड़ नही है। कोरोना बाधित मरीजों के अलावा कोई नए मरीज नही आ रहे हैं। सड़कों पर वाहन ना होने से दुर्घटनाएं नही हैं। हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज के मामले अचानक बहुत कम हो गए हैं।

अचानक ऐसा क्या हुआ है, की बीमारियों की केसेस में इतनी गिरावट आ गई ? यहाँ तक कि श्मशान में आनेवाले मृतको की संख्या भी घट गई हैं।

क्या कोरोना ने सभी अन्य रोगों को नियंत्रित या नष्ट कर दिया है?

नही ? बिल्कुल नही ?

दरअसल अब यह वास्तविकता सामने आ रही है, की जहाँ गंभीर रोग ना हो, वहाँ पर भी डॉक्टर उसे जानबूझ कर गंभीर स्वरूप दे रहे थे और डॉ विश्वरूप राय चौधरी की बाते सही साबित हो रही कि अस्पताल से जिंदा कैसे लौटे ?

जब से भारत में कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स, टेस्टिंग लॅब्स की  बाढ आई, तभी से यह संकट गहराने लगा था। मामूली सर्दी, जुकाम और खांसी में भी हजारों रुपये की टेस्ट्स करनें के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा था। छोटी सी तकलीफ में भी धड़ल्ले से ऑपरेशन्स किये जा रहे थे। मरीजों को यूँ ही ICU में रखा जा रहा था। बीमारी से ज्यादा भय उपचार से लगने लगा था।

अब कोरोना आने के बाद यह सब अचानक कैसे बन्द हो गया?

इसके अलावा एक और सकारात्मक बदलाव आया है। कोरोना आने से लोगों के होटल में खाने पर भी अंकुश लग गया है। लोग स्वयं ही बाहर के सड़क छाप और यहाँ तक कि बड़ी होटलों से अधिक घर का खाना पसंद करने लगे हैं। लोग ताजे फल ,सलाद, सब्जियों का प्रयोग अपने विवेक से ही ज्यादा कर रहे है और फलस्वरूप स्वस्थ भी हो रहे है।यही नही

लोगों के अनेक अनावश्यक खर्च बंद हो गए हैं ? कोरोना नें इंसान की सोच में परिवर्तन ला दिया है। हर व्यक्ति जागृत हो रहा है। शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए कितनी कम जरूरतें हैं, यह अगर वास्तव में समझ में आ रहा हो, तो उसे बीमारियाँ, भोजन, और पैसे की चिंताओं से बहुत हद तक मुक्ति मिल सकती है।

प्रदूषण का स्तर भी नीचे गिरा है जिसका लाभ भी मिल रहा है।सभी परिवार के सदस्य भी पास आ गए है जिससे मानसिक तनाव का स्तर भी नीचे गिरा है।लोगो के भगदौड़ कम होने से खुद की चीजो को व्यवस्थित करने का वक्त मिला है।ज्यादातर लोग व्यायाम कर रहे है दिनचर्या ठीक हुई है।

आज ना कल  कोरोना पर तो नियंत्रण हो ही जाएगा, पर उससे हमारा जीवन जो आज नियंत्रित हो गया है, उसे यदि हम आगे भी इसी तरह नियंत्रण में रखें, आवश्यकताएँ कम करें,  तो जीवन वास्तव में बहुत सुखद एवं सुंदर हो जाएगा।वस्तुतः अच्छे जीवन को इतनी जरूरत है नही जितना आडम्बर हमने जुटा रखे है।

यही कडवा सत्य है ।
अतः अपने जीवन को सरल,सहज बनाये व स्वस्थ रहे प्रशन्न रहे यही प्रकृति और यही परमपिता ईश्वर भी चाहते है।
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