सोमवार, 8 अगस्त 2011

राजस्थानी प्रेम कहानी : मूमल महिंद्रा राजस्थानी प्रेम कहानी : मूमल महिंद्रा


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8 रामप्यारी रो रसालो

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उन दिनों पुरे राजस्थान और राजस्थान के सभी रजवाड़ों को मराठों ने लूटपाट कर तंग कर रखा था| मेवाड़ भी मराठों से तंग तो था ही ऊपर से वहां गृह कलह भी फ़ैल गया| चुण्डावत और शक्तावतों के बीच आपस ने अनबन चल रही थी| और उसी वक्त महाराणा अड़सिंह जी अपने दोनों पुत्रों हमीरसिंह और भीमसिंह को कम उम्र में ही छोड़कर चल बसे| ऐसी हालात में मेवाड़ के राज्य कार्य का भार और नाबालिग बच्चो का पालन-पोषण का सारा जिम्मा रानी झालीजी के ऊपर आ गया| वे मेवाड़ की बाईजीराज की गद्दी पर बैठे| मेवाड़ में...
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10 मृत्यु के वक्त भी कविता

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मेवाड़ के महाराणा अड़सिंहजी के वक्त मेवाड़ में जबरदस्त गृह कलह फैला हुआ था| देवगढ के रावत राघोदासजी इस गृह कलह को करवाने वालों के मुखिया था राघोदासजी के कहने से माधोराव सिंधिया भी मेवाड़ के गृह कलह में शामिल हो गया और मेवाड़ पर चढ़ाई करने के लिए चल दिया| मेवाड़ के सभी सरदारों व मुसाहिबों ने आपसी सलाह कर उज्जैन में जाकर माधोरावसिंधिया से मुकाबला करने की ठानी| सिंधिया के पास ३५००० हजार सैनिक थे और उसके मुकाबले मेवाड़ की फ़ौज बहुत छोटी थी पर मेवाड़ वालों ने साहपुरा के...
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15 कविता की करामात

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कवि अपनी दो पंक्तियों में भी वह सब कह देता है जितना एक गद्यकार अपने पुरे एक गद्य में नहीं कह पाता,राजा महाराजाओं के राज में कवियों को अभिव्यक्ति की पूरी आजादी हुआ करती थी और वे कवि अपने इस अधिकार का बखूबी निडरता से इस्तेमाल भी करते थे|राजस्थान के चारण कवि तो इस मामले बहुत निडर थे राजा कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो उसकी गलत बात पर ये चारण कवि अपनी कविता के माध्यम से राजा को खरी खरी सुना देते थे|शासक वर्ग इन कवियों से डरता भी बहुत था कि कहीं ये कवि उनके खिलाफ कही कविताएँ...
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11 खुदाय बावळी : कहानी

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बहुत पुरानी बात है एक नगर में एक मुल्ला जी रहते थे और उसी नगर के दुसरे मोहल्ले में एक सिपाही अल्लेदाद रहता था| दोनों ही बेरोजगार थे कमाई का कोई साधन नहीं, दोनों के ही घर में घोर गरीबी| एक दिन मुल्लाजी कमाई करने अपने नगर से दुसरे नगर के लिए निकले उधर अल्लेदाद भी नौकरी की तलाश में निकला| रास्ते में शाम को दोनों ही एक कस्बे में पहुंचे,वहीँ दोनों की आपस में मुलाकात हुई,बात बात में दोनों को पता चला कि दोनों एक ही नगर के रहने वाले है सो दोनों में दोस्ती हो गयी| उस कस्बे में...
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9 खींवा और बींजा : दो नामी चोर - भाग-2

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भाग-१ से आगे...जय-विजय घोड़ियों की चोरी से हुई कमाई से दोनों मौज कर रहे थे| एक दिन खींवा की पत्नी दोनों को प्याला देते हुए बोली-" आप दोनों का जैसा नाम है वैसा ही आपने काम भी किया| जय विजय घोड़ियाँ चुरा लाये| बहुत बड़ा काम किया| पर दोनों मिलकर कोई बड़ा काम कर सको वैसा काम तो अभी बाकी ही है|खींवा ने हँसते हुए कहा- "आपका अभी भी मन नहीं भरा क्या?"मन भरने वाली बात नहीं है| मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों मिलकर कोई एसा काम करो जो दुनियां में बात चले| आदमी नहीं रहता चला जाता है...
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19 खींवा और बींजा : दो नामी चोर - भाग-1

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सैकड़ों वर्ष पहले की बात है,मारवाड़ राज्य में खींवा और बींजा नाम ले दो नामी चोर रहते थे | बींजा सोजत में और खींवा नाडोल नगर में | दोनों अपने हुनर में माहिर | नामी चोर,पर आस-पास में कभी चोरी ना करे | दूर दूर गुजरात और मालवा में जाकर चोरियां करते | उज्जैन और अहमदाबाद के सेठों को ये दोनों चोर सपने में दीखते | इन दोनों के नाम से सेठ-सेठानियों को नींद तक नहीं आती थी | दोनों हाथ सफाई के इतने चतुर कि सोये व्यक्ति के कपड़े उतार ले और सोने वाले की नींद भी ना टूटने दे | चोरी...
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6 प्रणय और कर्तव्य

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रणथंभौर दुर्ग पर अल्लाउद्दीन खिलजी ने पिछले तीन महीनों से घेरा डाल रखा था | उसके बागी सेनानायक महिमाशाही (मुम्मदशाह) को रणथंभौर के शासक हम्मीरदेव चौहान ने शरण दे रखी थी उसी बागी को वापस पाकर दण्डित करने के उद्देश्य से अल्लाउद्दीन ने हम्मीरदेव के किले पर आक्रमण किया और घेर लिया |किले की पिछोली बुर्ज जो सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण थी कारण था पिछोली बुर्ज से ही रनिवास पर हमला किया जा सकता था पर किले के मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने वीर लख्खाराव को नियुक्त कर रखा था...
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11 चोर की चतुराई : राजस्थानी कहानी, भाग- 2

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भाग १ से आगे जब खापरिया चोर ने राजा के सभी खास सरदारों की भी अच्छी तरह से आरती उतरवा दी तो राजा का और गुस्सा आया राजा ने अपने मंत्रियों से कहा -" ये चोर तो रोज चोट पर चोट किये जा रहा है अब इसे पकड़ना बहुत जरुरी हो गया है | वैसे कांटा निकालने के लिए काटें की ही जरुरत पड़ती है इसलिए इसे पकड़ने के जिम्मेदारी चोरों को ही देते है,चोर चोर की हर हरकत से वाकिफ होता है इसलिए राज्य के सभी चोरों को इकठ्ठा कर इसके पीछे लगा देते है वे इसे पकड़ने में जरुर कामयाब होंगे |"नगर के सभी...
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14 चोर की चतुराई, भाग-1: राजस्थानी कहानी

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एक राजा के राजमहल में एक नौकर था | उसकी चोरी करने की आदत थी | राजमहल में छोटी-मोटी चीजों पर अक्सर वह अपने हाथ की सफाई दिखा ही दिया करता था | हालांकि वह खुद तो छोटा चोर था पर उसकी दिली आकांक्षा थी कि उसका बेटा नामी चोर बने | एसा चोर बने जिसकी चोरी की बाते चलें | यही सोच उसने अपने बेटे को भी चोरी की कला का प्रशिक्षण दिया कई सारे चोरी के गुर सिखाये | फिर भी उसे तसल्ली नहीं थी कि पता नहीं उसका बेटा नामी चोर बन पायेगा या नहीं,क्योंकि वह खुद भी बूढ़ा हुआ जा रहा था | बेटा...
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9 पत्र का जबाब

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मुगलों के राज में राजा महाराजाओं को मुग़ल दरबार में पद (मनसब) उनकी राजनैतिक हैसियत के साथ युद्धों में दिखाई गयी उनकी वीरता आदि के आधार पर दिए जाते जाते थे जिसकी तलवार में जितना जोर उसका मनसब उतना बड़ा | इसलिए मुग़ल दरबार में मनसब बांटते समय कोई विवाद नहीं रहता था | पर जब भारत में अंग्रेजों का राज जम गया और देशी रियासतों के राजाओं ने उनसे संधियाँ करली तब कानून व्यवस्था अंग्रेजों ने अपने हाथों में ले ली,अब मुग़ल काल में होने वाले युद्ध भी बंद हो गए तो राजा,महाराजाओं,अमीरों,नबाबों...
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5 बांका पग बाई पद्मा रा

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राजस्थान में एक कहावत है "बांका पग बाई पद्मा रा" यदि आपको किसी बात पर किसी व्यक्ति पर पूरा शक है कि ये गलती इसी की है तो कह दिया जाता "बांका पग बाई पद्मा रा" अर्थात कसूर तो इसका ही है |संदर्भ कथा -आज से कोई चार सौ वर्ष पहले मारवाड़ राज्य के एक गांव में मालाजी सांदू नाम के एक बारहठ जी (चारण) रहते थे उनके एक पद्मा नाम की बहन थी | राजस्थान में चारण जाति के लोग हमेशा से बहुत बढ़िया कवि रहे है | पद्मा भी बहुत अच्छी कविताएँ कहने में माहिर थी एक अच्छी कवियत्री होने के साथ...
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7 बीकानेर का राजकुमार वीर अमरसिंह

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बीकानेर के राजा रायसिंहजी का भाई अमरसिंह किसी बात पर दिल्ली के बादशाह अकबर से नाराज हो बागी बन गया था और बादशाह के अधीन खालसा गांवों में लूटपाट करने लगा इसलिए उसे पकड़ने के लिए अकबर ने आरबखां को सेना के साथ जाने का हुक्म दिया | इस बात का पता जब अमरसिंह के बड़े भाई पृथ्वीराजसिंह जी को लगा तो वे अकबर के पास गए बोले-" मेरा भाई अमर बादशाह से विमुख हुआ है आपके शासित गांवों में उसने लूटपाट की है उसकी तो उसको सजा मिलनी चाहिए पर एक बात है आपने जिन्हें उसे पकड़ने हेतु भेजा है...
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14 कितने जगमाल ?

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उस समय अहमदाबाद पर महमूद बेग का शासन था,उसके राज्य में पाटण नाम का एक नगर उसका सूबेदार हाथीखान | पाटण नगर के अधीन ही एक गांव का तेजसिंह तंवर नाम का एक राजपूत रहवासी | तेजसिंह नामी धाड़ायती,दूर तक धाड़े (डाके) डालता,उसके दल में तीन सौ हथियार बंद वीर राजपूत | उसके नाम से करोडपति और लखपति कांपते थे | वह धनि व्यक्तियों के यहाँ डाका डालता और धन गरीबों में बाँट देता | गरीब ब्राह्मणों की कन्याओं के विवाह में खर्च करता,चारण कवियों को दिल खोलकर भेंट देता | धनि व्यक्तियों को...
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जरा गांव में कुछ दिन ( या घर लौटकर ) तो देखो 😄😄

 गांव का मनोरंजन  डेढ़ महीना गांव में ठहर जाओ,तो गाँववाले बतियाएंगे "लगता है इसका नौकरी चला गया है सुबह दौड़ने निकल जाओ तो फुसफुसाएंगे ...