गुरुवार, 9 अगस्त 2012

hiन्‍दी निबंध- समाचार पत्र



शुक्रवार, 1 जून 2012( 11:00 IST )
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आज के युग में समाचार पत्र मनुष्‍य की दिनचर्या का आवश्‍यक अंग बन गया है। प्रात:काल से ही मनुष्‍य को इसका इंतजार रहता है। समाज की उन्‍नति में इसका अहम योगदान रहा है।

हमारे आसपास व देश-विदेश की घटनाओं की जानकारी समाचार पत्र से ही प्राप्‍त होती है। समाचार पत्र का प्रकाशन कलकत्‍ता से प्रारंभ हुआ। पूर्व में समाचार पत्र का उपयोग सैनिकों द्वारा सूचना देने के लिए किया जाता था।

हमें हर तरह की जानकारी इससे ही मिलती है। शिक्षा, खेल, मनोरंजन, साहित्‍य आदि की प्रमुख खबरें दैनिक समाचार में प्रकाशित होती हैं। हर देश में भिन्‍न-भिन्‍न भाषाओं में इसका प्रकाशन होता है। दैनिक समाचार पत्र के अलावा मासिक, पाक्षिक व साप्‍ताहिक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है।

हमें समाचार पत्र से घर बैठे देश-विदेश की गतिविधि का पता चल जाता है। समाचार के लेख, खबरें समाज की उन्‍नति में इनका विशिष्‍ट योगदान रहा है। इसका क्षेत्र काफी बढ़ गया है। समाचार पत्र संचार के साधनों में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते हैं।

समाचार पत्र हमें देश-विदेश से परिचय कराता है। समाचार पत्र के अलावा हमें टीवी, इंटरनेट पर भी खबरों की सुविधा मिल जाती है। यह न्‍याय के खिलाफ हमेशा तत्‍पर रहता है। पहले इतने साधन नहीं थे, लेकिन अब समाचार पत्र के कारण हमें नई-नई ज्ञान की बातें भी मिलती हैं। यह हमारे लिए ज्ञान का सशक्‍त माध्‍यम है।
लाइफ स्‍टाइल
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हर साल की तरह, फिर जन्माष्टमी आएगी परमपिता परमात्मा की, फिर से याद दिलाएगी इस जन्माष्टमी पर, मन में प्रश्न उभरता है परमपिता परमात्मा, मानव क्यों बनता...
एक कड़ाही में धीमी आंच पर घी गरम करें। इसमें काजू-बादाम, किशमिश और नारियल को अलग-अलग भून लें। शेष बचे घी में साबुत धनिया डालें और कम आंच पर भून लें।
एक कड़ाही में धीमी आंच पर नारियल, मावा, गुड व इलायची मिलाकर पांच-सात मिनट भूनें। फिर इसके छोटे गोले बनाकर अलग रखें। तत्पश्चात एक अलग बर्तन में मैदे...

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जरा गांव में कुछ दिन ( या घर लौटकर ) तो देखो 😄😄

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