First Published:14-08-10 01:39 PM
Last Updated:14-08-10 01:40 PM
बेहतरीन विचारक, लेखक तथा विख्यात स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेहद करीबी थे और जीवन भर उनकी छाया की तरह रहे। गांधीवादी सुरेंद्र कुमार के अनुसार महादेव देसाई जीवन भर गांधी जी की छाया की तरह उनके साथ रहे और 1942 में जब आगा खां महल में उनका निधन हुआ, उस समय भी वह गांधी जी के साथ थे। कुमार के अनुसार शुरू से गांधी जी के विचारों से प्रभावित महादेव देसाई उच्च कोटि के विचारक और बेहतरीन लेखक थे। महात्मा गांधी के विचारों के कार्यान्वयन में महादेव देसाई की अहम भूमिका रही। कुमार के अनुसार महादेव देसाई ने लंबे समय तक डायरी लिखी जो महात्मा गांधी के चरित्र, विचार और उनके दर्शन को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उनकी डायरियों से गांधी जी की जीवनशैली, उनके क्रियाकलापों आदि का विस्तृत विवरण मिलता है। महात्मा गांधी ने आठ अगस्त 1942 को मुंबई के अपने ऐतिहासिक भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया था। नौ अगस्त की सुबह ही अंग्रेजों ने महात्मा गांधी, सरोजनी नायडू, महादेव देसाई आदि को गिरफ्तार कर पुणे के आगा खां महल में बंद कर दिया। इसी जेल में 15 अगस्त को महादेव देसाई का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन पर महात्मा गांधी ने कहा था कि उन्होंने 50 साल की जिंदगी में ही 100 साल का काम कर दिया।
महादेव देसाई को महात्मा गांधी के निजी सचिव के रूप में जाना जाता है, लेकिन वह और कस्तूरबा उन्हें अपने पुत्र सरीखा मानते थे। गांधी जी ने पहली ही मुलाकात में देसाई की छिपी हुई विशेषताओं को पहचान लिया और उन्हें अपने साथ काम करने का न्यौता दिया। गांधी जी और देसाई का जो संबंध 1917 में बना, वह 1942 में देसाई के निधन तक बना रहा। गांधी जी के पत्र व्यवहार को व्यवस्थित रखने में महादेव देसाई की अहम भूमिका थी। निजी सचिव होने के नाते वह देर रात तक जगकर गांधी जी से जुड़े काम को पूरा करते थे। गांधी जी के कार्यों के अलावा देसाई विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के लिए भी लिखते रहे तथा नियमित आधार पर डायरी लेखन भी किया। सूरत के एक गांव में एक जनवरी 1892 को पैदा हुए महादेव देसाई बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और उन्होंने छात्रवृत्ति के जरिए उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्नातक तक की शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की और वकालत के पेशे से भी जुड़े। महादेव देसाई विभिन्न आंदोलनों से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे और इस वजह से वह कई बार जेल भी गए। महादेव देसाई ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने उनके अखबार दि इंडिपेंडेंट का प्रकाशन जारी रखा। ब्रिटिश सरकार की तमाम पाबंदियों के बावजूद वह अखबार निकालते रहे। बाद में उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। देसाई ने नवजीवन का भी संपादन किया।
महादेव देसाई को महात्मा गांधी के निजी सचिव के रूप में जाना जाता है, लेकिन वह और कस्तूरबा उन्हें अपने पुत्र सरीखा मानते थे। गांधी जी ने पहली ही मुलाकात में देसाई की छिपी हुई विशेषताओं को पहचान लिया और उन्हें अपने साथ काम करने का न्यौता दिया। गांधी जी और देसाई का जो संबंध 1917 में बना, वह 1942 में देसाई के निधन तक बना रहा। गांधी जी के पत्र व्यवहार को व्यवस्थित रखने में महादेव देसाई की अहम भूमिका थी। निजी सचिव होने के नाते वह देर रात तक जगकर गांधी जी से जुड़े काम को पूरा करते थे। गांधी जी के कार्यों के अलावा देसाई विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के लिए भी लिखते रहे तथा नियमित आधार पर डायरी लेखन भी किया। सूरत के एक गांव में एक जनवरी 1892 को पैदा हुए महादेव देसाई बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और उन्होंने छात्रवृत्ति के जरिए उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्नातक तक की शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की और वकालत के पेशे से भी जुड़े। महादेव देसाई विभिन्न आंदोलनों से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे और इस वजह से वह कई बार जेल भी गए। महादेव देसाई ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने उनके अखबार दि इंडिपेंडेंट का प्रकाशन जारी रखा। ब्रिटिश सरकार की तमाम पाबंदियों के बावजूद वह अखबार निकालते रहे। बाद में उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। देसाई ने नवजीवन का भी संपादन किया।
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