गुरुवार, 28 सितंबर 2023

लोकार्पण का मेगा शो

 आज दिनांक 28.09.2023 को इडिंया इन्टरनेशनल सेन्टर के एनेक्स भवन के भूतल पर दो रचनाकारों के द्वारा रचित काव्यों के विमोचन का कार्यक्रम था....

जिसमे से एक रचनाकार इस सस्थां की माननीय सम्मानजनक सदस्या है...

रचनाकार की रूचि....

दो दिनों से लगातार इस ग्रुप के सदस्यों को पूरे पते के साथ आमन्त्रित कर रही थी..और लोगों ने इनके निमन्त्रण को स्वीकार करते हुये अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराया...उनमे से एक मै भी था...

कार्यक्रम का आकर्षण...

1) पहला यह कि मचं पर गणमान्य बुद्धिजीवी सम्मानित श्रेष्ठ लोग विराजमान थे...शायद उनके शब्दों को सुनने के लिये समय ने भी अपनी प्रतिबद्धता बांध रखा था..जिसके अनुरूप लोगों ने अपना अपना उदबोधन दिया...वातावरण भी शान्त होकर शब्दों का अवलोकन कर रहा था....

2) दुसरा यह कि जब आदरणीय श्री सुभाष चन्द्रा जी ने अपना उदबोधन दिया तो एक बड़ा ही सटीक और मार्मिक वाक्य बोला कि आज ये जो श्रोता बैठे है वो शायद सबसे बेहतर है...ये शब्द वाकई मन के विचारों मे सामजंस्य बिठाने योग्य थे और दिल को छु लेने वाले थे...मुझे सिर्फ यही एक वाक्य याद रह गया...बाकी उन्होंने कुछ कविताओं के पक्तियों का भी जिक्र किया था...खैर आदरणीय श्री सुभाष चन्द्रा जी ने जो बोला वो प्रशंसनीय था..

3) तीसरा यह कि मचं पर यदि गुणवत्ता वाले लोग थे तो श्रोताओं मे भी सभी लोग गुणवत्ता वाले थे...तात्पर्य उदबोधन करने वाले आदरणीय लोगों को एकटक देखते हुये उनके एक एक शब्द को कड़ियों मे पिरो रहे थे...मतलब बड़े आराम से सुन रहे थे...प्रत्येक श्रोता तारीफे काबिल थे....

4) सस्थां की रचनाकार ने अपने काव्य के विमोचन के लिये जो वातावरण तैयार करना था...उन्होंने बखूबी किया अपने मेहनत लगन से...

5) खास बात कि रचनाकार ने अपने काव्य मे रचनात्मक तरीके से उन सभी वीरांगनाओं का जिक्र किया है जो जो उनके जेहन मे थे...या आते गये...हालांकि यूं देखा जाये तो पूरे देश मे अनगिनत वीरागंनायें ऐसी और भी है जिनका न तो इतिहास मे कहीं जिक्र है...न ही पुरातन विभाग मे...न ही केन्द्रीय पुस्तकालय मे, यदि उनका जिक्र है तो उस प्रदेश मे रहने वाले उन स्थानीय लोगों मे जो उन्हें अपनी मां दीदी मानते है, केरल की ही एक ऐसी वीरांगना है जिन्होंने राजा के आदेशों के खिलाफ पोशाक पहन लिया और जब राजा ने सजा सुनाया आदेशानुसार तो राजा के फरमान आने से पहले ही उन्होंने अपने शरीर का एक खास अगं काटकर अन्दर से भिजवा दिया (राजा के सिपाही हैरान कि फरमान पहुंचा भी नही और उसने उससे पहले ही...)...हालांकि शरीर के कटे अगं मे दर्द इतना था कि असहनीय था...जिसके कारण चन्द रोज मे ही उनके प्राण पखेरु हो गये...किन्तु जाते जाते उस निर्दयी राजा को सोचने के लिये मजबूर कर दिया और वो राजा अपने कानून को बदलने के लिये विवश हो गया...और बदल भी दिया...जिसके कारण वो वीरांगना आज उस क्षेत्र मे देवी मां के (उनका मन्दिर बनवाया है वहीं पर उसी गावं मे स्थानीय लोगों ने)रूप मे पूजी जातीं है...ऐसे ही एक और वीरांगना जो सेल्युलर जेल मे हथकड़ियों मे बन्द थी, अग्रेंज यातनाओं पर यातनाएं दे रहे थे मगर वो टस से मस नही हुयी..न हो रहीं थी, अग्रेंजो को इतना गुस्सा आया कि हथकड़ियों मे बन्द उस वीरागंना के शरीर का खास अगं काटकर लेके चले गये...वीरागंना दर्द मे कराहा...तड़पा..मगर अग्रेंजों के सामने घुटने नही टेके...उनकी भी मृत्यु उसी दर्द के कारण उसी जेल मे हुआ..मगर उनका भी जिक्र कहीं नही है...ऐसे ही मालदा शहर ( वेस्ट बगांल) मे भी कुछ वीरांगना थी जिन्होंने बहुत कुछ खोया था..है...मगर आवाज बुलन्द था तो बुलन्द था...शहीद हो गयी...अग्रेंजो के बन्दूक की गोलियां खा ली...मगर झुकी नही...

6) खैर आजादी के इतिहास के पन्नों को ठीक (महीन बारीकी से सूक्ष्मता के साथ) से खगांला (उन प्रदेशों के स्थानीय क्षेत्रों मे भ्रमण के द्वारा)जाये तो शायद गिनतीयां कम पड़ जाये...

कार्यक्रम का एक खास आकर्षण और था कि सस्थां की सदस्य बड़ी ही शालीनता के साथ सबसे मिल रहीं थी...अभिवादन स्वीकार भी कर रहीं थी तो अभिन्दन भी कर रही थी...एक ऐसी अन्जान महिला से भी मिल रही थी और उसके बातों का जवाब शिष्टतापूर्वक दे रहीं थी..जिसपर कई लोगों की अचरच भरी निगाहें थी.. देख रही थी...

एक और आकर्षण था अल्पाहार मे जो काफी सुन्दर तरीके से सुसज्जित था और लोग लुत्फ के साथ आनन्द ले रहे थे...

अन्त मे यही कहुंगा कि सस्थां की सदस्या ने दिल्ली के व्यस्ततम क्षेत्र के व्यस्ततम भवन मे कार्यक्रम का सृजन कर आयोजित किया वो और उनके पारिवारिक सदस्य सभी बधाई के योग्य है..मै उनका आभार प्रकट करता हुं   इतने अच्छे कार्यक्रम मे सभी को आमंत्रित करने के लिये....

सस्थां के सदस्या सबसे प्रिय छोटी बहन का नाम श्रीमती रिकंल शर्मा (कौशम्बी, गाजियाबाद निवासी) है...जो अक्सर कार्यक्रम मे अपनी विशेष प्रस्तुति से सबके दिलो दिमाग विचारों मे अपनी अलग जगह बना लेतीं है...

लेखन मे उनकी कलम और गतिशील हो, नयी रचनाओं मे नये अन्वेषण हो. ये मगंलकामना करता है..👌

🙏🙏🙏🙏🙏❤️🌹👍✌🏽👆

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