शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

सुहाना लोकोत्सव


 झारखण्ड करतल ध्वनि भरा सुहाना लोकोत्सव है


झारखण्ड के लोकज्ञान से सम्बंधित अपनी आगामी किताब में संग्रह किये गए कई लोकगीतों में एक आपसे साझा करता हूँ,

बिक गईल महुवा,बेचा गईल सखुवा

कइसे के जिए रे आज के बग्वैया

बसवां में आगि लागी

भौका में बाधा लागी

मांदर के दाम अब

कहवां से देयी रे।

मोरवाअ न अब मारे देयी

तेनुआ न खाये देयी

मोरछल कहवां से जाई लिवाय रे

आज के बग्वैया।


इस गीत से झारखंड के रहवासियों की पीड़ा उमगकर हमसे पूछती है कि क्यों न सफल हो अराजकता का लोक उत्सव नक्सलवाद।आगामी किताब में ऐसे ही तकरीबन डेढ़ सौ लोकगीतों का संकलन है।लोक कथाएं भी हैं और लोकोक्तियाँ भी।


फ़ोटो साभार: विकिपीडिया

संदर्भ: जादुपेटिया चित्रकारी



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