शनिवार, 23 सितंबर 2023

मथुरा* / डॉ. वेद मित्र शुक्ल


मथुरा पर केंद्रित दो रचनाएं 🙏


 वेद मित्र शुक्ला


*1.*


कृष्ण भजन में डूबी राधे राधे जपती मथुरा प्यारी,

भोग, आरती, माखन-मिश्री की अलमस्ती मथुरा प्यारी|


पूजें पूरी ब्रज-अवनी को, पग-पग जन्मी कथा कृष्ण की,

पर, उर में तो पुण्यभूमि यह पावन धरती मथुरा प्यारी|


सजते हैं कुरुक्षेत्र मगर मत भूलें, देखो, रंगभूमि को,

युग हो कोई भी कंसों का वध तय करती मथुरा प्यारी|


साथ-साथ हैं वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना सब,

हँसते-गाते यमुना के घाटों पर बसती मथुरा प्यारी|


जन्माष्टमी पर्व हो या हो लट्ठमार होली रंगीली,

'जीवन है उत्सव' संदेशा देती रहती मथुरा प्यारी|


*2.*



आसाँ कब वसुदेव-देवकी होकर तप करना मथुरा में,

समझी यह संघर्ष-कथा सो अच्छा था रुकना मथुरा में|


अपनों की कारा में घुट-घुटकर जीने से अच्छा है जो -

वह तो ही है कृष्ण-जन्म का एक रात घटना मथुरा में|


बारिश, बाढ़, अमावस हों या कंस-राज, मुश्किलें बड़ी, पर

धर्म यही वसुदेव भाँति हो क्रांति-कथा गढ़ना मथुरा में|


गोकुल औ वृंदावन माना हृदय बीच बसते हैं, लेकिन -

कृष्ण सिखाते कर्तव्यों की खातिर है बसना मथुरा में|


महसूसो वह 'जन्मभूमि' जो कारा के भीतर थी जकड़ी,

'रंगभूमि' फिर जहाँ पाप का निश्चित था मिटना मथुरा में|


(सौ.- राष्ट्रधर्म, सितंबर 2023, पृ. 10)


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