- ३१.— with Anu Gupta and 48 others.
"प्रेम-ग्रंथ"
"जब रोम-रोम मेरे,किशोर
पुलकित होता,
जब श्वाँस-श्वाँस तन ताप
... उग्र किंचित होता,
तब शुष्क धरा पर यह
कैसा मृदु ओस दिखा,
वह प्रेम बीज बोता
उस पर संतोष दिखा,
वह महा शक्ति मेरे
शिव में संलयित हुई,
तब महाकाल में ज्योति
किरण प्रज्जवलित हुई,
वह कौन? पीसता मेरी
शिलाएँ,चूर्ण करे,
वह उर्ध्व चिन्ह,क्षैतिज-
रेखा को पूर्ण करे,
ऋण चिन्ह हुआ धन चिन्ह,
जागता काम लगे,
यह प्रेम-ग्रंथ संजय का
चिर संग्राम लगे,
हरती पीड़ा हर महादेव की,
शक्ति पुंज वह,
धन-धान्य,स्वर्ग वैभव देती
एक देव कुंज वह
यह पंचभूत और विकट शून्य
मिलकर मनु जीव बनाते हैं,
रज-वीर्य,अंड और शुक्र,संत!
जप-ध्यान-जोग दर्शाते हैं,
तुम आदिशक्ति मैं आदि देव,
तुम आदि भूत मैं अंतहीन,
मैं क्रियाहीन तुम ध्यानमग्न,
तुम रजस्वला,मैं दैव दीन,
तुम खंड-खंड में व्याप्त मेरे,
मैं तेरे खंड से चिर प्रचंड,
तुम अंड-अंड,मैं शुक्र-शुक्र,
शिवशक्ति मिलन जीवन अखंड,
तब कौन मूर्ख कहता है,
मेरे प्रेमग्रंथ को काम ग्रंथ,
संजय धृतराष्ट्र नहीं केशव,
तब तो रचता निर्वाण पंथ,
क्या धरती पर हल चला रहा,
वह कृषक लगे रत योग नहीं,
लिखता है संजय प्रेमग्रंथ में
प्रीत,मात्र समभोग नहीं,
यह प्रेमग्रंथ रसधार,मित्र! तुम
सुधा बूँद, चख लो, पी लो,
यह आदि-अंत का आदिग्रंथ और
अंतवेद, लख लो, जी लो।।"
(लगातार)
संजय कुमार शर्मा
"प्रिय साथियों,आप सब तो मेरा लिखा पसंद करते ही हैं,क्या आप अपने दोस्तों को भी मेरी रचनाएँ शेयर "Share" नहीं करेंगे,उन्हें भी जोड़िए....ज़िन्दग़ी के खूबसूरत एहसासात के साथ....मुहब्बत के ज़िन्दा लमहात के साथ,आप सब का स्वागत है मेरे पेजेज़ "Sanjay Kumar Sharma","प्रेमग्रंथ - संजय कुमार शर्मा" and "ग्राम्यबाला - संजय कुमार शर्मा"...पर।"
Hi,friends......visit the paradise of hearts...ever young...ever fresh...ever alive...ever beating...then... "LIKE" n "Share" them ...!!!
Link Addresses for d pages;
Sanjay Kumar Sharma
https://www.facebook.com/pages/Sanjay-Kumar-Sharma/243185802387450
and
प्रेमग्रंथ - संजय कुमार शर्मा
https://www.facebook.com/sanjaypremgranth
and
ग्राम्यबाला - संजय कुमार शर्मा
https://www.facebook.com/sanjaygramyabalaSee more
देव औरंगाबाद बिहार 824202 साहित्य कला संस्कृति के रूप में विलक्ष्ण इलाका है. देव स्टेट के राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह किंकर अपने जमाने में मूक सिनेमा तक बनाए। ढेरों नाटकों का लेखन अभिनय औऱ मंचन तक किया. इनको बिहार में हिंदी सिनेमा के जनक की तरह देखा गया. कामता प्रसाद सिंह काम और इनकi पुत्र दिवंगत शंकर दयाल सिंह के रचनात्मक प्रतिभा की गूंज दुनिया भर में है। प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर की भी इलाके में काफी धूम रही है.। देव धरती के इन कलम के राजकुमारों की याद में .समर्पित हैं ब्लॉग.
सोमवार, 30 जुलाई 2012
प्रेमग्रंथ -
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जरा गांव में कुछ दिन ( या घर लौटकर ) तो देखो 😄😄
गांव का मनोरंजन डेढ़ महीना गांव में ठहर जाओ,तो गाँववाले बतियाएंगे "लगता है इसका नौकरी चला गया है सुबह दौड़ने निकल जाओ तो फुसफुसाएंगे ...
-
प्रस्तुति- कृति शरण / मेहर स्वरूप / सृष्टि शरण / अम्मी शरण / दृष्टि शरण पौराणिक कथा, कहानियों का संग्रह 1 to 10 पौराणिक कह...
-
जी.के. अवधिया के द्वारा 25 Sep 2010. को सामान्य , शाश्वत रचनाएँ , ज्ञानवर्धक लेख कैटेगरी के अन्तर्गत् प्रविष्ट किया गया। टैग्स: कवि ...
-
इच्छा और कामुकता से भरी 15 सर्वश्रेष्ठ भारतीय कामुक पुस्तकें भारत इरॉटिका लेखकों की एक नई नस्ल के साथ फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे की घटना पोस्ट क...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें