मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

आलोक यात्री की साठा पाठा यात्रा

 

 📎📎 गुल्लकें बची रहें ...


जनवरी आने वाला है

यानी के अपनी पैदाइश का महीना

कैलेंडर में एक और पन्ना पलटेगा

और...

सफ़र साठ साल का पूरा हो जाएगा


यकीन नहीं होता...

हंसते खेलते यहां आ खड़े हुए

ज़िन्दगी के मुहाने पर



बचपन में कितनी गुल्लकें मिलीं

कितनी तोड़ीं, कितनीं फोड़ीं

याद नहीं

कितनी बाकी हैं

यह भी पता नहीं

लेकिन...

 ज़िन्दगी की रकम खत्म हो रही है

इसका इल्म अब आकर लगा

जब अचानक एक दिन...

माताश्री अस्पताल में भर्ती हो गईं

तकरीबन तेरह दिन पहले

(कहते हैं यह मनहूस संख्या है)

जांच रिपोर्ट के शून्य, डेसिमल और फिगर...

मायनस, मायनस और मायनस का ही

उद्घोष करते रहे


लेकिन उम्मीद की किरण का आलोक कहीं शेष था

पहला किला किसी तरह फतह किया ही था कि

आंगन की कच्ची दीवार की कुछ ईंटें आज दरकने लगीं...


गोद में चढ़ा यह बच्चा 

आज शाम कुछ हवाखोरी करने भाई अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव के साथ वरिष्ठ पत्रकार श्री नरसिंह अरोड़ा जी के गरीबखाने तक क्रिसमस की बधाई देने गया ही गया था कि...

एक मनहूस सी खबर ने मोबाइल की घंटी बजा दी


फिर क्या हुआ...

आप अंदाजा लगा सकते हैं

बाॅडी में उठे करंट का

360 वोल्ट का था 

या 66000 वोल्ट का...

यह तो पता नहीं

लेकिन जब पहुंचा डाॅ. डोगरा

(अरविंद) मोर्चा संभाले हुए थे


जन्म से संभाली गुल्लकें टूटने से

फिलहाल बच गई


दुआ कीजिए

माताश्री पिताश्री के रूप में

सहेज कर रखी गई

यह गुल्लकें बची रहें...


आमीन 🙏🙏🙏

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