शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

एक छोटा सा शब्दचित्र /विजय किशोर मानव

 

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चिट्ठियों में लिखे अभिवादन

रेशमी प्रेम की बातें

स्मृतियों में डूबने उतराने के प्रसंग

कहां घटित होते हैं

असल ज़िंदगी में


पार्क में समय गुजारते

एकांत में सुबकते

अनंत स्वादों की गंधों के बीच

चीथड़ों में लिपटे

लंघन करते

दो जीवित पिंड

माता या पिता 


प्रतीक्षा करते हैं

अपना अंतरराष्ट्रीय दिवस आने की

उस दिन की जाती हैं

उनके बारे में

अच्छी-अच्छी बातें 

दुनिया शायद जान पाती है

मां-पिता का महत्त्व

आंखें उस दिन भी बहती हैं

सुबह से रात तक


फेसबुक पर 

हर बेटे ने लिखी है कविता

मां या बाप की याद में

उनके दुनिया छोड़ने पर

कितना आसान है

मरे हुए माता पिता पर

लम्बी कविताएं लिखना

हर बार बिना भूले 

उस दिन संवेदना का गट्ठर बनाना

फेसबुक पर पोस्ट करना

और उनके संकलन छपवाना


लेकिन कितना कठिन है

उनके साथ रहना

उतरती उम्र में

उनका बच्चा बनकर


@ विजय किशोर मानव

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