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समकालीन हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर व्योमेश शुक्ल का स्वप्नलोक अर्थात वाराणसी में लोहटिया स्थित 'रूपवाणी' का स्टूडियो. 17 दिसंबर 2021 की शाम. एकल नाटकों के मंचन का अवसर. हम प्रथम प्रस्तुति के समय तक तो नहीं पहुंच सके लेकिन द्वितीय 'आखिरी रंग' को देखकर मन अघा गया. ऐसा, जैसे जो-जितना चाहिए था, एकदम नाप-जोख कर हमें मिल गया हो. सविता जी विशेष संतृप्त!
'मंचदूतम्' की यह प्रस्तुति योगेश मेहता की कहानी पर आधारित थी. इसे निर्देशित किया ज्योति ने. अभिनेता अजय रोशन के घंटा-भर के अविकल एकल अभिनय ने कथानक के संघात को जैसे स्याह स्याही से आत्मा के ऊपर मुद्रित कर डाला हो। अनुपयोगी होते वृद्ध कलाकार की दारुण उपेक्षा, दयनीय दशा, उसका आत्मद्वंद्व और दिल दहला देने वाला अंत... सबकुछ जैसे सामने दृश्यान्तरित !....
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नाटक से मुख़ातिब दुःख थोड़ी देर बाद तब हवा हुआ जब मुझे अपने ही नगर के अब तक स्वयं से अपरिचित अभिनेता अजय रोशन से रू-ब-रू होने का मौक़ा मिला. रंगकर्मी जयदेव दास जी से पिछले कुछ समय से संवाद रहा है और शाम में फ़ोन पर बात भी हुई थी लेकिन उनसे भी पहली भेंट यहीं हुई.
शब्द-वाक्यों की हमारी यह बेशक़ बहुत बड़ी किन्तु चौहद्दीबंद दुनिया रंगमंच, संगीत और दूसरी तमाम कलाओ के एक ज़रा-से औचक संस्पर्श से भी पलक झपकते कैसे भक-से जैसे अनेकवर्णी रोशनियों से चकमका उठती है!
कुल मिलाकर यादगार शाम! 🏵️🏵️
Savita Singh Vyomesh Shukla Joydev Das
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