गुरुवार, 16 दिसंबर 2021

कामुकता / ओशो

"काम-वासना का मस्तिष्क में रूपांतरण ही कामुकता है”/ओशो 

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काम सृजन का स्रोत हैं l परमात्मा ने सृजन के लिए इसका उपयोग किया है। कामुकता भी ठीक ईर्ष्या जैसी है। काम वासना ऐसी नहीं है। कामुकता ईर्ष्या क्रोध और लोभ के समान है–सदा विनाशात्मक। काम ऐसा नहीं है लेकिन हमें विशुद्ध काम का कुछ पता ही नहीं है। हमें केवल कामुकता का ही पता है।


एक आदमी जो अश्लिल चित्र देख रहा है या कोई काम–व्यभिचार की फिल्म देख रहा है वह काम नहीं खोज रहा, वह कामुकता के पीछे है। मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो अपनी पत्नियों से भी काम-कीड़ा नहीं कर सकते जब तक वे कुछ अश्लिल चित्र न देख लें अश्लिल पत्रिकाएं या किताबें न पढ़ लें। जब वे इन चित्रों को देखते हैं तभी उत्तेजित होते हैं। वास्तविक पत्नी उनके लिए कुछ भी नहीं। कोई चित्र नग्न चित्र उनको अधिक उत्तेजित करता है। वह उत्तेजना कामकेंद्र में नहीं है चित्र में हैं सिर मैं है।


”काम-वासना का मस्तिष्क में रूपांतरण कामुकता है” इसके विषय में सोचना कामुकता है। इसे जीना बिल्कुल दूसरी बात है यदि तुम इसे जी सको तो तुम इसके पार हो सकते हो। इसलिए किसी चीज से डरो नहीं। इसे जियो।

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