प्रस्तुति - कमल शर्मा
एक बनिया था 5 रुपए की रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था।
लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजा जी मुझे रोटी का दाम 10 करना है। राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो, बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच जाएगा, राजा बोला इसकी चिंता तुम मत करो, तुम 10 रुपए दाम कर दोगे तो मेरे राजा होने का क्या फायदा, तुम अपना फायदा देखो और 30 रुपए दाम कर दो, अगले दिन बनिये ने रोटी का दाम बढ़ाकर 30 रुपए कर दिया, शहर में हाहाकार मच गया, सभी राजा के पास पहुंचे, बोले महाराज यह बनिया अत्याचार कर रहा है, 5 की रोटी 30 में बेच रहा है, राजा ने अपने सिपाहियों को बोला उस गुस्ताख बनिए को मेरे दरबार में पेश करो, बनिया जैसे ही दरबार में पहुंचा, राजा ने गुस्से में कहा गुस्ताख तेरी यह मजाल तूने बिना मुझसे पूछे कैसे दाम बढ़ा दिया, यह जनता मेरी है तू इन्हें भूखा मारना चाहता है, राजा ने बनिए को आदेश दिया तुम रोटी कल से आधे दाम में बेचोगे, नहीं तो तुम्हारा सर कलम कर दिया जाएगा, राजा का आदेश सुनते ही पूरी जनता ने जोर से बोला.... महाराज की जय हो ,
महाराज की जय हो, महाराज की जय हो।
नतीजा सुनिए....
अगले दिन से 5 की रोटी 15 में बिकने लगी।
जनता खुश... बनिया खुश... और राजा भी खुश।
#वर्तमान भारतीय परिदृश्य की, एक झलक 🤔
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 06 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुंदर प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंराजा और बनिये के खेल में आमजन सदा बेवकूफ बनते रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसादर।
राजा और बनिए से ज्यादा तो ब्राह्मणों ने सब से ज्यादा बेवकूफ़ बनाया है लोगबाग को .. शायद ...
हटाएंकुछ ऐसे ही हालात वर्तमान में भी है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार दमदार लघुकथा!