आज नववर्ष है और प्रत्येक देशवासी इसे मनाने को उत्सुक है। आज लोगो ने अपनी जुबान में मिठास घोल रखी है। बधाइयों एवं शुभकामना का दौर जारी है। लेकिन किसी ने अपने ह्रदय के अंदर झाँकने की कोशिश नही की कि जिस वर्ष को हम पीछे छोड़ आये उस वर्ष के तीन सौ पैसठ दिनों में हमने कितनो का दिल तोडा ,कितनो की आहे ली और कितने लोग हमारे कर्मो के प्रति हमें कोस रहे हैं। हमने मानव धर्म को अपने ह्रदय में कितना आत्मसात किया है जरुरत है इस पर मनन करने की। आइये शुभकामना देने से पहले हम जरा इस पर विचार करें और अपने अंतर्मन को झकझोरें तथा नये वर्ष की शुरुआत नई उम्मीद, नए उमंग,सात्विक भावनाओं के साथ करें। हमारी कोशिश किसी के दुखों को साझा करने की, किसी के विश्वास को जीतने की, किसी के जीवन में खुशियां लाने की हो तभी सही मायने में हमारी शुभकामना किसी के ह्रदय को सुकून दे सकेगी। सिर्फ शुभकामना देकर औपचारिकता न निभाये आइये एक बेहतर सम्बन्ध, एक बेहतर उम्मीद और एक बेहतर भविष्य की ओर अपने क़दमों को प्रशस्त करें।
*अंत मे*
सूर्य के स्वर्णिम किरण से,
प्रकृति के उन्मुक्त पवन से।
नववर्ष जीवन मे लाए,
खुशियों का पैगाम।।
🙏प्रियदर्शी🙏
है नववर्ष से मेरी प्रार्थना
नित हर सुबह ये आए।
सुख समृद्धि के फूलों से
जीवन बगिया महकाए।
🙏प्रियदर्शी🙏
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