सोमवार, 13 दिसंबर 2021

अलखदेव प्रसाद अचल की तीन कविताएं


चमत्कार 


इस नए प्रजातंत्र में 

जरूरी है यह समझना

 कि हमारी सभाओं में उमड़ रही है भीड़ 

जहां रखने की भी 

नहीं मिलती है जगह और उसकी सभाओं में   

सरकारी तंत्र के दुरुपयोग के बावजूद

खाली कुर्सियों को 

क्यों सुनना पड़ता है भाषण ?

फ्री में ढोने वाली गाड़ियां भी 

निराशा की लकीरें लादे   क्यों आ जाती हैं ढंढनाती?



जरूरी है यह समझना कि उसकी सभाओं के लिए 

बेमौसम कहां से ?

कैसे होती है धनवर्षा? क्यों उसी पर टिके हैं उसके सारे खेल?


जरूरी है यह समझना कि आखिर वह 

अपने पांच वर्षों की उपलब्धियों पर 

क्यों नहीं करना चाहता है बातें 

तितलियों की तरह 

घूम फिर कर 

क्यों आ जाता है 

हिंदू मुस्लिम 

और मंदिर मस्जिद की डाल पर?


जरूरी है यह समझना कि 

अपने ही क्षेत्र से 

जिसके विकास का   पीटता आ रहा था ढिंढोरा 

उसी क्षेत्र से 

क्यों भागने पड़ रहे हैं उल्टे पांव ?

उन्हें बीच चौराहे पर  क्यों उतार दिया जा रहा है पानी ?

इसके बावजूद 

ईवीएम मशीनें 

फैक्ट्रियों के माल की भांति 

क्यों उगलने लगती हैं   उनके पक्ष में बहुमत? और लोगों को 

दिखाने लगता है नया चमत्कार?


जरूरी है यह समझना   कि पांच वर्षों तक मलाई खाने के बाद 

आखिर सिर्फ 

वे चुनावी रैलियों में ही   क्यों करते हैं वादों की बरसात?


जिस दिन समझ जाएगी आम-अवाम 

प्रतिरोध में 

आ जाएगी आगे 

उस दिन 

हो जाएंगे फुर्र

उनके सारे चमत्कार

  

      

[


                  सम्मान 


जो तुझे सरकार की ओर से    

दिया गया बहुत बड़ा सम्मान    

उस पर बधाई तो 

महज एक औपचारिकता है


तुझे सम्मान 

नहीं मिला इस पर 

कि तुम 

समाज और देश हित में 

रहे थे एक पैर पर खड़े 

या जनहित के लिए 

किया था कोई वैसा काम


तुझे सम्मान इसलिए मिला  

कि सरकार ने तुझे समझ रखा है  

अपना बेहतर चारण 

इसलिए कि

निकम्मी सरकार को भी तुम    

राजनीति में बने रहे थे अवलंब   

जिसमें निहित था 

तुम्हारा व्यक्तिगत स्वार्थ


तुझे सम्मान इसलिए मिला 

कि जहां सरकार के निकम्मेपन के विरुद्ध

उठते रहे हजारों-लाखों हाथ 

वहां तुम्हारी जुबान 

काटती रही उनके कसीदे


तुझे सम्मान इसलिए मिला 

कि सरकार नफरत की राजनीति कर

जब-जब, जहां-जहां 

पसारती रही अपने डैने 

उसके विरुद्ध 

समुद्र की लहरों की भांति 

उठते रहे विरोध के स्वर 

वहां तुम, उस के पक्ष में 

डटे रहे चट्टान की तरह


तुझे सम्मान इसलिए मिला 

कि सरकार को 

तुम्हारे सम्मान में 

दिख रहे हैं 

तुम्हारे संप्रदाय 

तुम्हारे वर्ग 

और तुम्हारी जाति के वोट


अन्यथा देश में 

तुझ से भी अधिक 

प्रत्येक क्षेत्र में हैं लोग दक्ष 

पर देखते रहना 

नहीं ली जाएगी उनकी कभी नोटिस !


      अलखदेव प्रसाद'अचल

      पचरुखिया मोड़,

      पोस्ट- सिहाड़ी

     जिला-औरंगाबाद(बिहार)824115

  मो. 9113364323

[

                  घातक


आज तुम

जितनी भी सुख सुविधाओं का   

कर रहे हो उपभोग 

सब विज्ञान रुपी 

बरगद की छांव में कर रहे हो   

परंतु, तुम्हारी आंखों पर 

आज भी चढ़े हैं अंधविश्वास के चश्में


इसलिए कि 

एक षड्यंत्र के तहत 

तुम्हारे सामने जा रहे हैं परोसे   

कि पिछले जन्म का तुम 

पा रहे हो पुण्य 

इस जन्म में भी 

अगर रखोगे अगाध श्रद्धा 

तो संवर जाएगा अगला जन्म


बस तुम 

अगले जन्म को संवारने में ही   

लगा दे रहे हो 

बिना सोचे समझे 

अपनी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा 

और वह 

तुम्हारी मूर्खता पर अट्टाहास करता 

बैठे-बैठे 

बढ़ाए जा रहा है अपनी तोंद


भीतर-भीतर मच्छर की भांति 

वह रोज दिन 

चूस रहा है तुम्हारा खून 

परंतु 

नहीं टूट रही है तुम्हारी नींद


तुम्हें आस्था के दलदल में 

फंसाने के लिए 

रचा जा रहा है इतना षड्यंत्र 

कि तुम चाहकर भी 

उससे निकल न सको


यही कारण है 

कि तुम्हें 

इस विज्ञान युग में भी 

खुद के विकास में 

एहसास हो रहा है 

किसी की कृपा दृष्टि 

यही तुम्हारे जीवन के लिए 

सबसे बड़ा है घातक


      अलखदेव प्रसाद'अचल

       पचरुखिया मोड़,

      पोस्ट- सिहाड़ी

      जिला- औरंगाबाद (बिहार)824115

 मो.9113364323

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