शेरजंग गर्ग की कविताएं

View in English क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग View in English क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग ग़लत समय में सही बयानी / शेरजंग गर्ग खुद से रूठे हैं हम लोग / शेरजंग गर्ग आदमी हर तरह लाचार है / शेरजंग गर्ग सतह के समर्थक समझदार निकले / शेरजंग गर्ग आदमी की अज़ीब सी हालत है / शेरजंग गर्ग हौंसलों में फ़कत उतार सही / शेरजंग गर्ग आवाज़ आ रही है / शेरजंग गर्ग मत पूछिए क्यों / शेरजंग गर्ग कोई शहर गुमशुदा है / शेरजंग गर्ग काफ़ी नहीं तुम्हारा / शेरजंग गर्ग दर्द की चाशनी है / शेरजंग गर्ग मेरे समाज की हालत / शेरजंग गर्ग स्वच्छ, सजग अधिकार कहाँ / शेरजंग गर्ग सब करार को तरसे / शेरजंग गर्ग काँच निर्मित घरों के / शेरजंग गर्ग ऐसी हालत मे क्या किया जाए / शेरजंग गर्ग हम क्यों न सबको ठीक तरज़ू पे तोलते / शेरजंग गर्ग बुझ गई रोशनी / शेरजंग गर्ग चोटियों में कहाँ गहराई है / शेरजंग गर्ग खुश हुए मार कर ज़मीरों को / शेरजंग गर्ग जब पूछ लिया उनसे / शेरजंग गर्ग न पूछिए हम कहाँ से / शेरजंग गर