साहित्यिक पत्रकारिता के स्तंभ- शिवपूजन सहाय
अवधभूमि रामराज्य की परिकल्पना ….. 25 Jan 2012 Leave a Comment हिंदी साहित्यकारों ने समय-समय पर हिंदी पत्रकारिता में अपना योगदान दिया है। साहित्यकारों के मार्गदर्शन में पत्रकारिता ने भी नई ऊंचाईयों को प्राप्त किया है। साहित्य और पत्रकारिता का जब सम्मिश्रण होता है, तब पत्रकारिता सूचना ही नहीं जनशिक्षण और सांस्कृतिक उत्थान का भी माध्यम बनकर उभरती है। हिंदी साहित्यकारों का हिंदी पत्रकारिता से पुराना नाता रहा है जैसे भारतेंदु हरीश चन्द्र, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, माखनलाल चतुर्वेदी, मुंशी प्रेमचंद, माधवराव सप्रे एवं आचार्य शिवपूजन सहाय आदि। आचार्य शिवपूजन सहाय की बात की जाए तो पत्रकारिता के क्षेत्र में वे साहित्यिक सरोकारों को पत्रकारिता से जोड़ने के लिए जाने जाते हैं। पत्रकारिता की विधा से जब साहित्य जुड़ता है, तो पत्रकारिता भाषा के स्तर पर समृद्ध होती है और सामाजिक सरोकारों से भी सहज रूप से जुड़ जाती है। आचार्य शिवपूजन सहाय ने इस कार्य को भली-भांति अंजाम दिया। 9 अगस्त, 1993 को बिहार के शाहाबाद जिले में