हिन्दी लोकोक्तियां
जिसकी बंदरी वही नचावे और नचावे तो काटन धावे : जिसकी जो काम होता है वही उसे कर सकता है. जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ करे : जब किसी के द्वारा पाला हुआ व्यक्ति उसी से गुर्राता है। जिसकी लाठी उसकी भैंस : शक्ति अनधिकारी को भी अधिकारी बना देती है, शक्तिशाली की ही विजय होती है. जिसके पास नहीं पैसा, वह भलामानस कैसा : जिसके पास धन होता है उसको लोग भलामानस समझते हैं, निर्धन को लोग भलामानस नहीं समझते. जिसके राम धनी, उसे कौन कमी : जो भगवान के भरोसे रहता है, उसे किसी चीज की कमी नहीं होती. जिसके हाथ डोई (करछी) उसका सब कोई : सब लोग धनवान का साथ देते हैं और उसकी खुशामद करते हैं. जिसे पिया चाहे वही सुहागिन : जिस पर मालिक की कृपा होती है उसी की उन्नति होती है और उसी का सम्मान होता है. जी कहो जी कहलाओ : यदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग तुम्हारा भी आदर करेंगे. जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा है : कम बोलने और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है. जीभ भी जली और स्वाद भी न पाया : यदि किसी को बहुत थोड़ी-सी चीज खाने को दी जाये. जीये न मानें पितृ और मुए करें श्राद्