करवा चौथी महिलाओं के नाम
गिरीश पंकज (करवा चौथ के पावन-पर्व पर संस्कृति का सम्मान करने वाली दुनिया की समस्त स्त्रियों को समर्पित) त्याग है नारी, प्यार है नारी / ईश्वर का उपहार है नारी पार लगाती जो दुनिया को / वो अद्भुत पतवार है नारी देह नहीं है ये नादानो / हम सब पे उपकार है नारी सबका दुःख बन जाता उसका / एक महा किरदार है नारी बिन इसके घर भूत का डेरा / घर के गले का हार है नारी मुक्ति जहां से हो कर मिलती / वो इक पावन द्वार है नारी इस पर अत्याचार न करना / देवी का अवतार है नारी बिगड़ी सदा बनाने वाली / जादू का संसार है नारी लगे फूल -सी कोमल है पर / वक्त पड़े तलवार है नारी उसे हराना मुश्किल है पर / खुद ही जाती हार है नारी एक पंक्ति में बोलूं तो फिर / धरती का श्रृंगार है नारी तेरे कारण दुनिया सुन्दर / बार-बार आभार है नारी पुरुष सदा पत्थर है 'पंकज' / पर निर्मल जलधार है नारी