रसभरी प्रेम कविताओं में कतरा कतरा दर्द
अनमी शरण बबल कैसे एक दर्द / किसी की खुशियों और उम्मीदों पर अमरबेल सा पसर जाता है अब वो पहाड़ और मैं / एक ही दर्द के साझीदार है / अनंतकाल तक के लिए। नागपुर की चर्चित कवयित्री अर्चना राज के पहल काव्य संकलन कतरा कतरा दर्द की अंतिम कविता पहाड़ की आखिरी चार पंक्तियां है। मैं इसका इसलिए खासतौर उल्लेख कर रहा हूं कि इनकी कविताओं में प्रेम केंद्रीय भाव है। मगर उसके प्रति मरने जीने मदहोश रहने और झूठे कसमें वादों मे ही सिमटे रहने की लालसा भर की ये कविताएं नहीं है। इसमें प्रेम के साथ आत्मसंघर्ष की पीड़ा और सामाजिक नियति से टकराने या विद्रोह करने का हौसला भी है। काव्य संकलन की भूमिका लिखते हुए ओम प्रकाश नौटियाल नें आरंभ में ही लिखा है कि जीवन के विषाद निराशा टीस कसक क्षोभ प्रेम की उहापोह की संवेदना भाव प्रस्फुटन से ये कवितएं पाठकों के मन को झंकृत करने में सामर्थ्थ रखती है। कतरा कतरा दर्द में छोटी बड़ी 83 छंदमुक्त कविताएं है । जिसको पढ़ना यदि काव्य सौंदर्य के साथ भावों के विराट सागर में पाठक आनंदित महसूसेगा। कहा जाता है कि संक्षेप में लिखना या भावों की