हिन्दी नाटक का इतिहास
विषय सूची १ प्राचीन हिन्दी नाटक २ आधुनिक हिन्दी नाटक २.१ भारतेन्दु-युगीन नाटक २.१.१ मौलिक नाटक २.१.२ अनूदित और रूपान्तरित नाटक २.२ द्विवेदीयुगीन नाटक २.२.१ पौराणिक नाटक २.२.२ ऐतिहासिक नाटक २.२.३ सामाजिक-राजनैतिक समस्यापरक नाटक २.२.४ व्यवसायिक दृष्टि से लिखे नाटक २.२.५ प्रहसन २.२.६ अनूदित नाटक २.३ प्रसाद-युगीन नाटक २.४ प्रसादोत्तर-युगीन नाटक प्राचीन हिन्दी नाटक हिन्दी साहित्य में नाटक का विकास आधुनिक युग में ही हुआ है। इससे पूर्व हिन्दी के जो नाटक मिलते हैं, वे या तो नाटकीय काव्य हैं अथवा संस्कृत के अनुवाद मात्र या नाम के ही नाटक हैं, क्योंकि उनमें नाट्यकला के तत्वों का सर्वथा अभाव है, जैसे नेवाज का ‘शकुन्तला’, कवि देव का ‘देवमायाप्रपंच’, हृदयराम का ‘हनुमन्नाटक’ राजा जसवन्तसिंह का ‘प्रबोधचन्द्र चन्द्रोदय’ नाटक आदि। रीवां नरेश विश्वनाथ सिंह का ‘आनन्द रघुनन्दन’ नाटक हिन्दी का प्रथम मौलिक नाटक माना जाता है। जो लगभग 1700 ई. में लिखा गया था, किन्तु एक तो उसमें ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है, दूसरे वह रामलीला की पद्धति पर है। अतः वह