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बचपन की मित्रता
🌸 जय श्री राधे 🌸_*
_उन चारों को होटल में बैठा देख,रमेश हड़बड़ा गया._
_लगभग *25 सालों* बाद वे फिर उसके सामने थे._
_शायद अब वो बहुत बड़े और संपन्न आदमी हो गये थे!_
_*रमेश को अपने स्कूल के दोस्तों का खाने का आर्डर लेकर परोसते समय बड़ा -अटपटा लग रहा था.*_
_उनमे से दो मोबाईल फोन पर व्यस्त थे- और दो लैपटाप पर!_
_रमेश पढ़ाई पुरी नही कर पाया था. *उन्होंने उसे पहचानने का प्रयास भी नही किया!*_
_वे खाना खा कर बिल चुका कर चले गये!_
_रमेश को लगा - उन चारों ने शायद उसे *पहचाना नहीं, या उसकी गरीबी देखकर* जानबूझ कर कोशिश नहीं की._
_*उसने एक गहरी लंबी सांस ली और टेबल साफ करने लगा।*_
_टिश्यु पेपर उठाकर कचरे मे डलने ही वाला था,_
_शायद उन्होंने उस पर कुछ जोड़-घटाया था!_
_अचानक उसकी नजर उस पर लिखे हुये शब्दों पर पड़ी!_
_लिखा था - अबे साले तू हमे खाना खिला रहा था- तो तुझे क्या लगा- हम तुझे पहचानेंगे नहीं.....?_
_*अबे 20 साल क्या- अगले जनम बाद भी मिलता तो तुझे पहचान लेते*._
_तुझे टिप देने की हिम्मत हममे नही थी!_
_हमने पास ही फैक्ट्री के लिये जगह खरीदी है और अब हमारा इधर आन-जाना तो लगा ही रहेगा।_
_*आज तेरा इस होटल का आखरी दिन है!*_
_हमारे फैक्ट्री की कैंटीन कौन चलाएगा बे! तू चलायेगा ना....?_
_तुझसे अच्छा पार्टनर और कहां मिलेगा....???_
_याद हैं न स्कुल के दिनों हम पांचो एक दुसरे का टिफिन खा जाते थे. आज के बाद रोटी भी मिल बाँट कर साथ-साथ खाएंगे._
_*रमेश की आंखें भर आई*_
_सच्चे दोस्त वही तो होते है जो दोस्त की कमजोरी नही सिर्फ दोस्त देख कर ही खुश हो जाते है।_
_*धीरज, धर्म, मित्र, अरु नारी।*_
_*आपद काले परखिए चारी।।*_
_भगवान से अच्छा मित्र कोई नही हो सकता।_
_Friends day तो अब कुछ और ही मकसद के लिए मनाया जाता है,ये विदेशीयों की देने है,खाओ पियो मोज करो।_
_मित्रता मनानी है,और जाननी है तो,भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा , भगवान श्रीराम और विभीषण,भगवान श्रीराम और सुग्रीव,भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन, इत्यादि के विषय मे पढ़े।_
_मित्रता करते वक्त निष्काम भाव होने चाहिए।_
_मित्रता में कुछ दिया जाता है, लिया नही जाता ।मित्रता में हिसाब-किताब नही होता है।_
_मित्रता तो आपद काल में ही देखी जाती है।_