परिचय
जन्म : 1916, भवानीपुर गाँव, औरंगाबाद (बिहार) भाषा : हिंदीविधाएँ : कहानी, निबंध, व्यंग्य
मुख्य कृतियाँ
मैं छोटा नागपुर में हूँ; घर, गाँव और देहात; घुमक्कड़ की डायरी
निधन
1963
विशेष
औरंगाबाद (बिहार) के भवानीपुर गाँव
में जन्मे प्रसिद्ध गद्य-शिल्पी कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ ग्रामीण संवेदना
के रचनाकार थे। राजनीतिक अभिरुचि और उच्छल सहृदयता उनके व्यक्तित्व की
मुखर पहचान थी। यह चारित्रिक विशिष्टता उनके लेखन और शैली में बड़े सहज
रूप में व्यक्त हुई है। बिहार के शीर्षस्थ गद्य शिल्पी कामता प्रसाद
सिंह की रुचि और सक्रियता राजनीतिक क्षेत्र में भी थी, किंतु समाज-सेवा तथा
मनस्वी मुद्रा में जीवन यापन करते साहित्य रचना उनका नैसर्गिक भाव था।
अपनी धरती के प्रति उनका प्रगाढ़ अनुराग था। दक्षिण बिहार के चप्पे-चप्पे
की उन्होंने यात्रा की थी। छोटा नागपुर की बहुरंगी जिंदगी, जिंदगी से
जुड़े उल्लास एवं जटिल समस्याओं की उन्होंने अपने लेखन में मार्मिक
अभिव्यक्ति की है। अपने गाँव-घर के लोगों तथा ग्रामीण परिदृश्य का बड़े
ममत्व और सहृदयता के साथ उन्होंने मोहक शैली में चित्रण किया है। प्रकृति
सर्वेक्षण की उनमें बड़ी जागरूक क्षमता थी और उसे रूपायित करने की सिद्ध
शैली उन्हें आयत्त थी। अपने संसार के सामान्य व्यवहार में आने वाली
वस्तुओं को उपजीव्य बनाकर उन्होंने मार्मिक गद्य-रचना की है। उनकी
प्रसिद्ध पुस्तकें हैं - ‘मैं छोटा नागपुर में हूँ’, ‘घर, गाँव और देहात’,
‘घुमक्कड़ की डायरी।’
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देव औरंगाबाद बिहार 824202 साहित्य कला संस्कृति के रूप में विलक्ष्ण इलाका है. देव स्टेट के राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह किंकर अपने जमाने में मूक सिनेमा तक बनाए। ढेरों नाटकों का लेखन अभिनय औऱ मंचन तक किया. इनको बिहार में हिंदी सिनेमा के जनक की तरह देखा गया. कामता प्रसाद सिंह काम और इनकi पुत्र दिवंगत शंकर दयाल सिंह के रचनात्मक प्रतिभा की गूंज दुनिया भर में है। प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर की भी इलाके में काफी धूम रही है.। देव धरती के इन कलम के राजकुमारों की याद में .समर्पित हैं ब्लॉग.
रविवार, 1 फ़रवरी 2015
कामता प्रसाद सिंह काम
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