रविवार, 26 जून 2016

मधुकर शाह बुंदेला 1857 नहीं 1842 में हुआ था पहला विद्रेह









1842 में बुंदेलखंड में वीर मधुकर शाह ने किया था अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह

प्रस्तुति-  शैलेन्द्र किशोर

फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव के निर्देशन में होगा नाटक का मंचन
30 एवं 31 दिसंबर और 1 जनवरी को होगी नाटक की प्रस्तुति
संदीप तिवारी -!- सागर
देश के स्वाधीनता संग्राम की बात आती है, तो सभी को 1857 की क्रांति याद आ जाती है। देश की पहली क्रांति इसे ही माना जाता है। यह बात शायद चंद लोग ही जानते होंगे कि अंग्रेजी हुकूमत के 

















खिलाफ पहला विद्रोह 1857 की क्रांति से भी करीब 15 साल पहले हो चुका था। वर्ष 1842 में बुंदेलखंड के मधुकर शाह बुंदेला ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था। इसे ‘बुंदेला विद्रोह’ कहा जाता है। ‘सागर गजेटियर’ में भी इसका उल्लेख है। सीधी सी बात है 1857 की क्रांति इसके बाद ही हुई। इस पर केंद्रित नाटक का मंचन 30 एवं 31 दिसंबर को शाम 7 बजे से एवं 1 जनवरी 2014 को दोपहर 1 और शाम 7 बजे से डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में होगा।
नाटक के माध्यम से समझ सकेंगे लोग : वीर मधुकर शाह बुंदेला के गौरवपूर्ण कार्य और उनके जीवन पर फिल्म अभिनेता गोविंद नामदेव एक नाटक का निर्देशन कर रहे हैं। नाटक उन्होंने ही लिखा है। नाटक को नाम दिया गया है ‘मधुकर कौ कटक’। सह निर्देशन कर रहे हैं मुंबई से आए डायरेक्टर संतोष तिवारी। नाटक की रिहर्सल जोरों पर है। एनएसडी, अथग और सागर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में जो एक माह की वर्कशॉप लगी है, उसी के प्रशिक्षणार्थियों को अभिनय के लिए चुना गया है। कुछ अन्य लोग भी शामिल हैं। श्री नामदेव बताते हैं कि वीर मधुकर शाह के बारे में अधिकांश लोगों को पता ही नहीं है। युवा पीढ़ी इनसे अंजान है। उन्होंने 1842 में पहला विद्रोह किया, यह बुंदेलखंडवासियों के लिए गौरव की बात है। मुझे उम्मीद है कि नाटक के मंचन के बाद लोग मधुकर शाह के बारे बहुत कुछ जान सकेंगे।

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