शनिवार, 5 मार्च 2016

शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय


प्रस्तुति- राकेश कुमार सिन्हा


शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय
Sharat Chandra Chatterji.jpg
जन्म: १५ सितंबर, १८७६
देवानंदपुर, देवानंदपुर, पश्चिम बंगाल
मृत्यु: १६ जनवरी, १९३८
कार्यक्षेत्र: कहानीकार, उपन्यासकार
राष्ट्रीयता: भारतीय
भाषा: हिन्दी, बांग्ला
उपन्यास:पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल,
मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति,
मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास,
बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना
अन्य साहित्य:यहां देखें
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उनका जन्म हुगली जिले के देवानंदपुर में हुआ। वे अपने माता-पिता की नौ संतानों में से एक थे। अठारह साल की अवस्था में उन्होंने इंट्रेंस पास किया। इन्हीं दिनों उन्होंने "बासा" (घर) नाम से एक उपन्यास लिख डाला, पर यह रचना प्रकाशित नहीं हुई। रवींद्रनाथ ठाकुर और बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। शरतचन्द्र ललित कला के छात्र थे लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह इस विषय की पढ़ाई नहीं कर सके। रोजगार के तलाश में शरतचन्द्र बर्मा गए और लोक निर्माण विभाग में क्लर्क के रूप में काम किया। कुछ समय बर्मा रहकर कलकत्ता लौटने के बाद उन्होंने गंभीरता के साथ लेखन शुरू कर दिया। बर्मा से लौटने के बाद उन्होंने अपना प्रसिद्ध उपन्यास श्रीकांत लिखना शुरू किया।[1] बर्मा में उनका संपर्क बंगचंद्र नामक एक व्यक्ति से हुआ जो था तो बड़ा विद्वान पर शराबी और उछृंखल था। यहीं से चरित्रहीन का बीज पड़ा, जिसमें मेस जीवन के वर्णन के साथ मेस की नौकरानी से प्रेम की कहानी है। जब वह एक बार बर्मा से कलकत्ता आए तो अपनी कुछ रचनाएँ कलकत्ते में एक मित्र के पास छोड़ गए। शरत को बिना बताए उनमें से एक रचना "बड़ी दीदी" का १९०७ में धारावाहिक प्रकाशन शुरु हो गया। दो एक किश्त निकलते ही लोगों में सनसनी फैल गई और वे कहने लगे कि शायद रवींद्रनाथ नाम बदलकर लिख रहे हैं। शरत को इसकी खबर साढ़े पाँच साल बाद मिली। कुछ भी हो ख्याति तो हो ही गई, फिर भी "चरित्रहीन" के छपने में बड़ी दिक्कत हुई। भारतवर्ष के संपादक कविवर द्विजेंद्रलाल राय ने इसे यह कहकर छापने से इन्कार कर दिया किया कि यह सदाचार के विरुद्ध है। विष्णु प्रभाकर द्वारा आवारा मसीहा शीर्षक रचित से उनका प्रामाणिक जीवन परिचय बहुत प्रसिद्ध है।[2]

अनुक्रम

प्रमुख कृतियाँ

शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय का पैतृक घर
शरत्चंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं। बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर "पथेर दावी" उपन्यास लिखा गया। पहले यह "बंग वाणी" में धारावाहिक रूप से निकाला, फिर पुस्तकाकार छपा तो तीन हजार का संस्करण तीन महीने में समाप्त हो गया। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे जब्त कर लिया। शरत के उपन्यासों के कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुए हैं। कहा जाता है कि उनके पुरुष पात्रों से उनकी नायिकाएँ अधिक बलिष्ठ हैं। शरत्चंद्र की जनप्रियता उनकी कलात्मक रचना और नपे तुले शब्दों या जीवन से ओतप्रोत घटनावलियों के कारण नहीं है बल्कि उनके उपन्यासों में नारी जिस प्रकार परंपरागत बंधनों से छटपटाती दृष्टिगोचर होती है, जिस प्रकार पुरुष और स्त्री के संबंधों को एक नए आधार पर स्थापित करने के लिए पक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसी से शरत् को जनप्रियता मिली। उनकी रचना हृदय को बहुत अधिक स्पर्श करती है। पर शरत्साहित्य में हृदय के सारे तत्व होने पर भी उसमें समाज के संघर्ष, शोषण आदि पर कम प्रकाश पड़ता है। पल्ली समाज में समाज का चित्र कुछ कुछ सामने आता है। महेश आदि कुछ कहानियों में शोषण का प्रश्न उभरकर आता है। उनके कुछ उपन्यासों पर आधारित हिन्दी फिल्में भी कई बार बनी हैं। इनके उपन्यास चरित्रहीन पर आधारित १९७४ में इसी नाम से फिल्म बनी थी। उसके बाद देवदास को आधार बनाकर देवदास फ़िल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है। पहली देवदास कुन्दन लाल सहगल द्वारा अभिनीत, दूसरी देवदास दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला द्वारा अभिनीत तथा तीसरी देवदास शाहरुख़ ख़ान, माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय द्वारा अभिनीत। इसके अतिरिक्त १९७४ में चरित्रहीन, परिणीता-१९५३ और २००५ में भी, बड़ी दीदी (१९६९) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं।
कृतियों की सूची

प्रकाशित ग्रन्थ

उपन्यास

  • बड़दिदि, १९१३
  • बिराजबौ, १९१४
  • परिणीता, १९१४
  • बैकुन्ठेर उइल, १९१५
  • पल्लीसमाज, १९१६
  • चन्द्रनाथ, १९१६
  • अरक्षणीया, १९१६
  • पन्डितमशाइ, १९१७
  • देबदास, १९१७
  • चरित्रहीन, १९१७
  • श्रीकान्त १, १९१७
  • निष्कृति, १९१७
  • श्रीकान्त २, १९१८
  • दत्ता, १९१८
  • गृहदाह, १९२०
  • बामुनेर मेये, १९२०
  • देना पाओना, १९२३
  • नबबिधान, १९२४
  • पथेर दाबी, १९२६
  • श्रीकान्त ३, १९२७
  • शेष प्रश्न, १९३१
  • बिप्रदास, १९३५
  • श्रीकान्त ४, १९३३
  • शुभदा, १९३८
  • शेषेर परिचय, १९३९

नाटक

शरत्चन्द्र चट्टोपाध्याय और सुरेन्द्रनाथ राय ९१९२७)
  • षोड़शी, १९२८
  • रमा, १९२८
  • बिराज बौ, १९३४
  • बिजया, १९३५

गल्प

  • रामेर सुमति, १९१४
  • बिन्दुर छेले, १९१४
  • पथ-निर्देश, १९१४
  • मेजदिदि, १९१५
  • आधाँरे आलो, १९१५
  • दर्पचूर्ण, १९१५
  • काशीनाथ, १९१७
  • छबि, १९२०
  • बिलासी, १९२०
  • मामलार फल, १९२०
  • हरिलक्षी, १९२६
  • महेश, १९२६
  • अभागीर स्बर्ग, १९२६
  • अनुराधा, १९३४
  • सती, १९३६
  • परेश, १९३६

निबन्ध

  • नारीर मूल्य
  • तरुणेर बिद्रोह, १९१९
  • स्बदेश ओ साहित्य, १९३२
  • स्बराज साधनाय नारी
  • शिक्षार बिरोध
  • स्मृतिकथा
  • अभिनन्दन
  • भबिष्यत् बङ्ग-साहित्य
  • गुरु-शिष्य संबाद
  • साहित्य ओ नीति
  • साहित्ये आर्ट ओ दुर्नीति
  • भारतीय उच्च सङ्गीत

संदर्भ


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