स्नेह प्यार मंगलकामनाओं और शुभाशीष की
कोई सीमा नहीं होती। जितना मिल जाए वो भी कम है। अनंत शुभकामनाओं और स्नेह के साथ
विवाह
की 25 वी वर्षगाँठ पर
स्वर्ग
में तय होते हैं रिश्ते
सुना
है ऐसा, सब कहते हैं,
जन्नत
सा घर उनका जो
इकदूजे
के दिल में रहते हैं !
जीवन
कितना सूना होता
तुम
बिन सच ही सब कहते,
खुशियों
की इक गाथा उनमें
आंसू
जो बरबस बहते हैं !
हाथ
थाम कर लीं थीं कसमें
उस दिन
जिस पावन बेला में,
सदा
निभाया सहज ही मिलकर
दिल पर
लिख कर ही देते हैं !
कदम-कदम
पर दिया हौसला
प्रेम
का झरना बहता रहता,
ऊपर
कभी कुहासा भी हो
अंतर
में उपवन खिलते हैं !
नहीं
रहे अब ‘दो’ तुम
दोनों
एक सुर की एक ही भाषा है,
एक
दूजे से दोनों की पहचान बनी
संग-संग
ही जाने जाते हैं !
यहाँ तक पहुंचे हैं तुम दोंनो
जीवन
का रस पीते-पीते
कल भी
साथ निभाना है
मधुमास
पवन, अगन, में जीते
जीते
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें