अनामी शरण बबल
मेरा चांद
खो
गया है मेरी आंखों से
आंखो
में ही
रहता
बंद
पलक
गिराये बगैर
हर
दम हर पल
साथ
जब
चाहा
तब
देख लिया
बातें
कर ली
एकएक
किसी
अंधड़ के बिना ही
कैसी
आंधी चली तूफान मचा
हो
गया कोहराम
नहीं
दिखता
अब
नहीं दिखता कोई चांद
आंखों
से लापत आंखों में
लोप
हो गया चांद
किससे
कहूं अपनी कथा -व्यथा
लगता
है मानो
कहीं मेरी
ही निष्ठा में
कोई चूक रह गयी होगी
शायद?
कोई चूक रह गयी होगी
शायद?
मैं तेरा झूठा
1
मान लेना भी अक्सर
हैरान कर देता है मुझे बारबार
लगता मानो बादलों में
परियों के संग खेल रहा
बादलों से घिरा मैं अचंभित हो जाता हूं बार बार
रेत में फूल खिला हो मानो परियों.से दिल मिला हो मानो
जिंदगी पूरी रंगीन हो गयी
ऐसा भी होता है यह नहीं सोचा था
पाने का स्वप्न पराया लगता है
मैं तेरा साया सा
कोई ख्वाब पराया नहीं लगता है।
2
करके आंखे बंद
जब भी बैठता हूं तेरे ख्याल में
लोग बाग इसे ध्यान उपासना मान लेते है।
मैं तो कहीं और खोया रहता हूं तेरे ख्याल में
केवल होती है संग मेरे
तेरा अहसास तेररी रौशनी तेरा संगीत
पौ फटने सी है
प्रकाश
दिखता है तेरा नूरानी चेहरा
तेरी माया तेरी
काया
3
रह रहकर मैं खुद से खुद में ही
हंसने लगता हूं अक्सर ।
अपनी ही नजर में फंसने लगता हूं।
रह रह कर बार बार
कोई खुश्बू फैल जाती है
आस पास बार बार
मानो
किसी की याद में खोया
कोई मीठी धूप सहलाकर मुझे
चली गयी हो बारबार
अक्सर देखते ही लोग मुझे
खिल जाते हैं,
किसी मोहक संगीत में झूम से जाते हैं।
तुम्हारी याद में अक्सर
बावला सा होकर मचल उठता हूं खुद से
अपनी भी परवाह नहीं रहती
किसी की चाह नहीं रहती।।
4
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मैं
मैं तावे सा गोर
और तू चांद सितारों सी
मैं कोयले सा बेनूर
तू फूल गुलाब हजारों सी
घनघोर करिया अंधकार की लंबी गुफा मै
तू सूरज सी प्रकाशमान
मैं मलीन शाम सा
तेरा चेहरा ऊज्जवला दिनमान
पाकर खुश्बू
उल्लासित मन की मोहक रेखा
यह मेरा सौभाग्य
कुदरत की नजर से
मैने बार बार हर देखा
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मैं
तेरा झूठा
बोल
रहा हूं एक झूठ और
कहीं
से
अपने
ही भाव की करके चोरी
टू
लाख कहे मगर, चाहे मगर
नहीं
उतरेगा मेरा खुमार
दिन
रात धरती पहाड़ की तरह
चमकता
रहेगा यादों का अमरप्रेम
सूरज
चांद की तरह
कोई
रहे ना रहे
क्या
फर्क पड़ता है
हवाओं
में गूंजती रहेगी प्रेम की खुश्बू
खंडहरों
घाटियों में महकेगी
तृप्त
प्यार की मोहक गंध
तेरी सौगंध
नहीं उतरेगा
कभी नहीं उतरेगा प्यार का रंग
मैने तो रंगों में ही डाल दी है
अपना प्यार अपना खुमार
अपनी खुशी अपना बहार
।.।
7
सच में नहीं उतरेगा
कभी नहीं और कभी नहीं
तू लाख कर ले जतन
हमारे बाद भी रहेगा प्यार मन से जतन से
हर किसी की मुस्कान में होगी
तेरी ही खिल खिलाहट
खिला खिला सा होगा
हर चेहरे पर तेरी मुस्कान
हर सिंदूरमें होगा
तेरा संतोष तेरा सौभाग्य तेरा आशीष
मैं तो दूर का वासी
जगत नयन से देख न सकूं कब ही
फिर भी रोज देखत हूं तुझे
मन से नयन से
जी भर होकर संतुष्ट / फिर भी
नयनों में आस बनी रहती है
चाहत की प्यास बनी रहती है ।।.
8
किसी की याद में जीना / किसी की याद से जीना
किसी की याद में मरना
किसी की याद में रहना / किसी की याद को सहना / किसी की याद से दहना
किसी की याद को कहना
अब तो अपनी आदत है।
मैं पागल नहीं ना आशिक दीवाना
मैं तो तेरा झूठा
झूठ बोले की मुझमें चलन
9
मन में
फिर भी मन में नाचें एक दो नहीं हजारों छवि
रंग बिरंगी
मोहक एक ही सूरत मूरत
दिल में बस गयौ
जिसे निकाल नहीं पाता
ना ही नयन फेरत बने
हरदम मन में बसी रहे
तू चाहे तो जा सको
मैं न रोक्यौ तूझे कभी
दिल पे हाथ धर के कहता हूं तुमसे
तू चाहो तो जा सकत है
मगर मैं कहूं तुझे जावत कौ
ई ना हम कह सकत हैंय।
चाहे जान चली जाए भली
होना सक्यौ
मुझसे
ना रोकू मैं तुझको
गर तू चाहत है जान भली
सच कहत हूं गोई
तू मान ले इसको झूठा
मैं झूठा तेरा
मुझमौं भला कहां प्रीत की ऐसी आंच लगन
खुद की अगन में हो निहाल रहूं मगन मैं .
मेरी अगन तो मुझे निखारे
तपन तपाकर कंचन कर दे बदन
तेरी याद की नरम शीतल छांह
कर दे सब कुशल मंगल
मुझमें इता जतन नहीं
ना मैं तेरी छाया
तुझमें है इतनी मेरी तडप / तू मेरी छाया
याद तेरी कवच
कुछ ना होय मुझे /
मैं हरदम हर गम से चंगा
मैं झूठा तेरा
और तू सबसे बड़ी सच मेरी .।।
10
पागल नहीं ना आशिक दीवाना
फिर भी रहता है बहुत बेताब ए दिल
मन के भीतर ज्वार उठे आंखों में खुमार दिखे
दिल सागर सा धीर मगर उसमें सैलाब ए दिल
फूल खुश्बू पर चंचल भ्रमर बेहाल
मन को रोकना मुश्किल लगे / दिल भी कातिल सा बेदिल लगे
कोई चांद झिलमिलाए ऐसा ही है ख्वाब ए दिल
पहली पहली बार मन में उठे तूफान
चारो तरफ मानो खुशियों का उफान
नूर की कोहिनूर सी चमक सोने नहीं दे
मन उपवन की तडप रोने नहीं दे
झलक पाने की ललक /
दिल को खोने नहीं दे
जानत हूं हाल मगर मैखाने का हलाहल शराब ए दिल
अधीर होकर भी काबू में रहना है सब मन में सहना है
उसकी मोहकता का यही माहताब ए दिल
मैं तेरा झूठा दिल में है कोई पुरानी शराब ए दिल
11
कभी नहीं सोचा था
कभी नहीं और कभी नहीं
रेगिस्तान में भी फूल खिलेंगे
कभी धरती आसमान मिलेंगे ?
सच
ऐसा ही लगता है मानो
मैं खुद से मिल रहा हूं
मेरा ही कोई साया है
न जाने /
किसकी काया में है ?
कभी नहीं थी बात बेबात मुलाकात
नहीं कभी हुए
आमने सामने
नेह स्नेह अपनापन प्रेम चाहत की भी
नहीं कहीं गुंजाईश
कभी नहीं देखा था ख्वाब
मेरे वन में कोई होगा गुलाब
बात व्यावहार मान मनुहार ।
मैं भीड़ से घिरा तन्हा
कोई नहीं जिसे अपना मानू
भले ही सपना सा जानू
किसी पर कोई अधिकार सा देखू।.।
मैं झूठा तेरा
जानता हूं धरती आकाश सा हूं अलग अलग
फिर भी नहीं लगता है
यह अहसास ही दिल के पास लगता है
मैं झूठा तेरा
मन में एक विश्वास सा लगता है।
12
वो चेहरा कोहिनूर है
जिसकी याद में खो
मेरी आंखों में हरदम उसकी छवि
आंखों के झील में खोया डूबा हूं।
चाहत का ऐसा नूर
जिससे मैं बहुत दूर
जिसके खोने से लगे बेनूर अपनी दुनियां
लहरों सी चपल मस्त /
फूलों की महक सी
नूर को देख ही लेता हूं
रोजाना
होकर खुद को खोकर मुग्ध विभोर
नहीं मलाल दूरी की / मजबूरी की
किसी बेताब हूर सी परी सी
कोहिनूर की चमक दमक और भरपूर लिए ललक
मेरे सामने आकर खड़ी हो जाती है
अक्सर
उसकी चमक से ही
रौशन है मेरा घर
कभी नहीं चमक धूमिल
तेरे नूर से /
हरदम खिला खिला मेरा जहां ।
ना रिश्ता ना बंधन फिर भी चाहत भरा आकर्षण
यही एक बंधन है कोहिनूर से
कुछ ना होकर भी /
सबकुछ लगे दूर से।
मन से मन की यह मानो मुलाकात
तुमं मेरे लिए ईश्वर प्रदत सौगात हो
कोहिनूर से भी हो तुम / ज्यादा निश्छल उज्जवल
पाक बेदाग सुदंर
यही मन की ललक है चाहत है वचन है ।।
14
क्या तेरे संग भी होता है / कुछ ऐसा ही
या केवल मेरा
भरम है करम है
या पागलपन ।
मन बेकाबू तेज धार सी
मन का बंधन तेज कटार सी
तेरा रंग रूप चमक सौंदर्य तलवार सी
तुम पर मन समर्पित पावन वंदनहार सी
हरदम हर पल
पलपल दमके नयनों मे तेरा श्रृंगार / मंत्र मुग्ध सा मन करे केवल तेरा निहार
सागर सा शांत रहूं मैं बैठा
मन के भीतर तेज तूफान उफान
फिर भी केवल तेरी याद / तेरा चेहरा ही खेवनहार
मन मे रहे केवल विश्वास
फिर सब कुछ शांत परास्त सा सामान्य लगे
दिल के तूफान का
ना होय किसी को भान
मैं तेरा झूठा
कहयो केवल एक बान
यही तोर मान
और ऊ
तोर सम्मान।
उर्फ
(यही तेरा मान
तू मेरा स्वाभिमान ।)
15
दिन भर हरदम
कहीं ऐसा भी होता है
कहीं ऐसा भी होता है
जिधर देखूं तो केवल
तूही तू नजर आए। केवल तू नजर आए ।।
हर तरफ मिले तू खिली हुई फूल सी खिली खिली
फूलों में बाग में फलों में गुलाब में
मंदिर मे मस्जिद में जल प्रसाद में जाम में शराव में
तूही तू नजर आए ।।
बाजार में दुकान में
हर गली मोड़ चौराहे हर मकान में
हर गली मोड़ चौराहे हर मकान में
कभी आगे तो कभी पीछे कभी कभी तो साथ साथ
चलती हो मेरे संग
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती
सच में जिधर देखू
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती
सच में जिधर देखू
तो
तू नजर आए / तूही तू नजर आए ।।।
तू नजर आए / तूही तू नजर आए ।।।
सुबह की धूप में किसी के संग फूलों पत्तीयों के संग
तालाब झील नदी में खड़ी किसी और रंग रूप में
तालाब झील नदी में खड़ी किसी और रंग रूप में
तू ही तू नजर आए।
शाम कभी दोपहरी में भी
कभी कहीं किसी मंदिर स्तूप में
चौपाल में तो कहीं किसी के संग खेत खलिहान में
बाग में कभी कहीं किसी राग लय धुन ताल में
शाम कभी दोपहरी में भी
कभी कहीं किसी मंदिर स्तूप में
चौपाल में तो कहीं किसी के संग खेत खलिहान में
बाग में कभी कहीं किसी राग लय धुन ताल में
तू ही तू नजर आए / तू ही तू लगे, तू ही मोहे दिखे।।
रोजाना / कई कई बार अईसा लगे
रोजाना / कई कई बार अईसा लगे
आकर सांकल घनघना देती हो
खिड़की पर कोई गीत गुनगुना देती हो
कभी अपने छज्जे पे आकर मुस्कुरा जाती हो
घर में भी आकर लहरा जाती हो अपनी महक
जिसकी गंध से तर ब तर मैं
भूल जाता हूं सब कुछ
बार बार
एक नहीं कई बार हर तरफ
घर में भी आकर लहरा जाती हो अपनी महक
जिसकी गंध से तर ब तर मैं
भूल जाता हूं सब कुछ
बार बार
एक नहीं कई बार हर तरफ
तूही तू नजर आए।। केवल तू दिखे केवल तू लगे ।।
सच्ची तेरी कसम
मन खिल खिल जाए
लगे मानो कोई सपनों में नहीं
हकीकत में मिल गया है
मेरे मन में
धूप हवा पानी मिठास
बासंती रंग सा खिल गया है।।
हर रंग में केवल तू लगे मन खिल खिल जाए
लगे मानो कोई सपनों में नहीं
हकीकत में मिल गया है
मेरे मन में
धूप हवा पानी मिठास
बासंती रंग सा खिल गया है।।
हर रंग में रूप में मोहे
एकप्रकाश लगे, उजास लगे
सबसे प्यारी सी अपनी हसरत भरी अहसास लगे ।
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तूही तू लगे तू ही दिखे ।।
98
98
ईत्ती उमर गुजर गयौ तब जाकर हुआ अहसास
मैं भूल गया था
अपने जीवन का कुछ खास
अपने जीवन का कुछ खास
अब लागौ मुझे
हर सांस में है एक बंधन
हवा मानौ फूल से कहे
पती पती धूप सहे
बर्फ पीकर भी चांदनी जाड़े में मस्त रहे
फूल कब दे कोई उलाहना धूप से
निगाह कब फेरौगे
मेरे रूप से
का करे कुछ अईसन ही लागे
ईते उमर के बाद
मन में फूटल है अंगार
पता नहीं लोगन कि का कहे का जाने
मन में है मधुमास हरसिंगार
मन में है एक फांस
हर सांस के साथ साथ।।
तू ना बोले झूठ कभी
और मैं ना बोलू सच
आज
तू ही बन जा जज मेरी
बिन तेरे निक न लागे कछू
सबै लगे उदास
मैं पागल खोजत रहयौ
हर नूर में केवल तेरा अहसास
कोई कहे मोहे पागल पर जानत हूं मैं
तू भी है भीतर से घायल
मैं कहूं तो से ई है नेह का बंधन अपनापन
अब तू ही बोल
जो कहौ सब सिर माथे.।
100
एक बात की सौ बात
और सौ बात की एक सुनो
एक ही बात ठीक लागे,
तू मुझे हरदम हरपल नीक लागे
तेरी मौन सुहावन छवि भी, कभी कभी एक सीख लागे
मनभावन सब बात कहूं मैं तुमको
फिर भी एक दाव भारी लागे
तू आज भी चितचोर सबसे न्यारी प्यारी लागे ।।