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इतिहास और विकास
अधिकतर समीक्षकों का मानना है कि 'नौटंकी स्वांग शैली का ही एक विकसित रूप है'।[4] नौटंकी कि कथाएँ अक्सर किसी व्यक्ति पर या महत्वपूर्ण विषय पर होती हैं, मसलन आल्हा-ऊदल की नौटंकी। इसी तरह, 'सुल्ताना डाकू' की नौटंकी इसी नाम के उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले में हुए एक डाकू की कहानी बताती है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उस विषय पर बहुत सी नौटंकियां हुईं थी जिन्होनें जन-साधारण को इस संग्राम में शामिल होने की प्रेरणा दी। आजकल दहेज़-कुप्रथा, आतंकवाद और साम्प्रदायिक लड़ाई-झगड़ों के विरुद्ध नौटंकियाँ देखी जा सकती हैं।[1] दर्शकों की रूचि बनाए रखने के लिए नौटंकियों में अक्सर प्रेम-सम्बन्ध के भी कुछ तत्व होते हैं जिनका प्रयोग अश्लीलता के लिए भी किया जा सकता है। इसलिए बहुत सी अश्लील नौटंकियाँ भी डेढ़-सौ साल से चलती आ रहीं हैं, जिस से अक्सर नौटंकी की शैली बदनाम भी होती आई है।[1] पारम्परिक रूप से नौटंकियों में पैसा बनाने के लिए यह ज़रूरी था कि दर्शकों को कभी भी ऊबने न दिया जाए, इसलिए अधिकतर नौटंकियों में १० मिनट या उस से कम अवधि की घटनाओं को एक सिलसिले में जोड़कर बनाया जाता है जिसमें हर भाग में दर्शकों की रूचि बनाए रखने की कोशिश की जाती है। कहानी दिलचस्प रखने के लिए वीरता, प्रेम, मज़ाक़, गाने-नाचने और धर्म को मिलाया जाता है और कथाकार प्रयास करता है की दर्शकों की भावनाएँ लगातार ऊपर-नीचे हों और बदलती रहें।कविता
नौटंकी में कविता और साधारण बोलचाल को मिलाने की प्रथा शुरू से रही है। पात्र आपस में बातें करते हैं लेकिन गहरी भावनाओं और संदेशों को अक्सर तुकबंदी के ज़रिये प्रकट किया जाता है। गाने में सारंगी, तबले, हारमोनियम और नगाड़े जैसे वाद्य इस्तेमाल होते हैं।[5] मिसाल के लिए 'सुल्ताना डाकू' के एक रूप में सुल्ताना अपनी प्रेमिका को समझाता है कि वह ग़रीबों की सहायता करने के लिए पैदा हुआ है और इसीलिए अमीरों को लूटता है।[6] उसकी प्रेमिका (नील कँवल) कहती है कि उसे सुल्ताना की वीरता पर नाज़ है (इसमें रूहेलखंड की कुछ खड़ी-बोली है):
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उच्चारण
कृपया ध्यान दीजिये कि नौटंकी में अक्सर हिंदी-उर्दू के पारम्परिक शब्दों का प्रयोग होता है। 'ख़ैरात' और 'ख़ुदा' जैसे शब्दों में बिंदु-वाले 'ख़' का उच्चारण बिंदु-रहित 'ख' से ज़रा अलग है और 'ख़राब' और 'ख़रीद' जैसे शब्दों से मिलता-जुलता है। इसी तरह 'ग़रीब' और 'ग़म' जैसे शब्दों में बिंदु-वाले 'ग़' का उच्चारण बिंदु-रहित 'ग' से थोड़ा अलग है और 'ग़लत' और 'ग़ायब' जैसे शब्दों से मिलता है।इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- यू-ट्यूब पर 'सुल्ताना डाकू' नौटंकी के कुछ अंश
- 'नौटंकी, एक परिचय', यू-ट्यूब पर एक छोटी फ़िल्म
सन्दर्भ
- Grounds for Play: The Nautanki Theatre of North India, Kathryn Hansen, pp. 139, University of California Press, 1991, ISBN 978-0-520-07273-2, ... The opening chaubola states: 'It was his job to loot the treasuries of the rich / And always bring relief to the poor and helpless.' Somewhat later Sultana declares his mission to be that of an equalizer sent by God: 'For those who have found wealth and given not a penny to charity, God has made me the enemy. / For those who are poor and have no consoler, I have been born to share their sorrows.' ...
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