14 दिसंबर, 2024
देव औरंगाबाद बिहार 824202 साहित्य कला संस्कृति के रूप में विलक्ष्ण इलाका है. देव स्टेट के राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह किंकर अपने जमाने में मूक सिनेमा तक बनाए। ढेरों नाटकों का लेखन अभिनय औऱ मंचन तक किया. इनको बिहार में हिंदी सिनेमा के जनक की तरह देखा गया. कामता प्रसाद सिंह काम और इनकi पुत्र दिवंगत शंकर दयाल सिंह के रचनात्मक प्रतिभा की गूंज दुनिया भर में है। प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर की भी इलाके में काफी धूम रही है.। देव धरती के इन कलम के राजकुमारों की याद में .समर्पित हैं ब्लॉग.
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024
रविवार, 15 दिसंबर 2024
दूसरा मिसरा ही नामी हो गया
ऐसे बहुत से शायर हैं, जिनका दूसरा मिसरा इतना मशहूर हुआ कि लोग पहले मिसरे को तो भूल ही गये। ऐसे ही चन्द उदाहरण यहाँ पेश हैं:
"ऐ सनम वस्ल की तदबीरों से क्या होता है,
*वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है।*"
*- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़*
"भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया,
*ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।"*
*- माधव राम जौहर*
"चल साथ कि हसरत दिल-ए-मरहूम से निकले,
*आशिक़ का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकले।"*
*- मिर्ज़ा मोहम्मद अली फिदवी*
"दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से,
*इस घर को आग लग गई,घर के ही चराग़ से।"*
*- महताब राय ताबां*
"ईद का दिन है, गले आज तो मिल ले ज़ालिम,
*रस्म-ए-दुनिया भी है,मौक़ा भी है, दस्तूर भी है।"*
*- क़मर बदायुनी*
"क़ैस जंगल में अकेला ही मुझे जाने दो,
*ख़ूब गुज़रेगी, जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।"*
*- मियाँ दाद ख़ां सय्याह*
'मीर' अमदन भी कोई मरता है,
*जान है तो जहान है प्यारे।"*
*- मीर तक़ी मीर*
"शब को मय ख़ूब पी, सुबह को तौबा कर ली,
*रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई।"*
*- जलील मानिकपूरी*
"शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी,
*कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को।"*
*- शैख़ तुराब अली क़लंदर काकोरवी*
"ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
*लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"*
*- मुज़फ़्फ़र रज़्मी* 🌹🌹
डाकिया और अम्मा
"अम्मा!.आपके बेटे ने मनीआर्डर भेजा है।"
डाकिया बाबू ने अम्मा को देखते अपनी साईकिल रोक दी। अपने आंखों पर चढ़े चश्मे को उतार आंचल से साफ कर वापस पहनती अम्मा की बूढ़ी आंखों में अचानक एक चमक सी आ गई..
"बेटा!.पहले जरा बात करवा दो।"
अम्मा ने उम्मीद भरी निगाहों से उसकी ओर देखा लेकिन उसने अम्मा को टालना चाहा..
"अम्मा!. इतना टाइम नहीं रहता है मेरे पास कि,. हर बार आपके बेटे से आपकी बात करवा सकूं।"
डाकिए ने अम्मा को अपनी जल्दबाजी बताना चाहा लेकिन अम्मा उससे चिरौरी करने लगी..
"बेटा!.बस थोड़ी देर की ही तो बात है।"
"अम्मा आप मुझसे हर बार बात करवाने की जिद ना किया करो!"
यह कहते हुए वह डाकिया रुपए अम्मा के हाथ में रखने से पहले अपने मोबाइल पर कोई नंबर डायल करने लगा..
"लो अम्मा!.बात कर लो लेकिन ज्यादा बात मत करना,.पैसे कटते हैं।"
उसने अपना मोबाइल अम्मा के हाथ में थमा दिया उसके हाथ से मोबाइल ले फोन पर बेटे से हाल-चाल लेती अम्मा मिनट भर बात कर ही संतुष्ट हो गई। उनके झुर्रीदार चेहरे पर मुस्कान छा गई।
"पूरे हजार रुपए हैं अम्मा!"
यह कहते हुए उस डाकिया ने सौ-सौ के दस नोट अम्मा की ओर बढ़ा दिए।
रुपए हाथ में ले गिनती करती अम्मा ने उसे ठहरने का इशारा किया..
"अब क्या हुआ अम्मा?"
"यह सौ रुपए रख लो बेटा!"
"क्यों अम्मा?" उसे आश्चर्य हुआ।
"हर महीने रुपए पहुंचाने के साथ-साथ तुम मेरे बेटे से मेरी बात भी करवा देते हो,.कुछ तो खर्चा होता होगा ना!"
"अरे नहीं अम्मा!.रहने दीजिए।"
वह लाख मना करता रहा लेकिन अम्मा ने जबरदस्ती उसकी मुट्ठी में सौ रुपए थमा दिए और वह वहां से वापस जाने को मुड़ गया।
अपने घर में अकेली रहने वाली अम्मा भी उसे ढेरों आशीर्वाद देती अपनी देहरी के भीतर चली गई।
वह डाकिया अभी कुछ कदम ही वहां से आगे बढ़ा था कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा..
उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस कस्बे में उसके जान पहचान का एक चेहरा सामने खड़ा था।
मोबाइल फोन की दुकान चलाने वाले रामप्रवेश को सामने पाकर वह हैरान हुआ..
"भाई साहब आप यहां कैसे?. आप तो अभी अपनी दुकान पर होते हैं ना?"
"मैं यहां किसी से मिलने आया था!.लेकिन मुझे आपसे कुछ पूछना है।"
रामप्रवेश की निगाहें उस डाकिए के चेहरे पर टिक गई..
"जी पूछिए भाई साहब!"
"भाई!.आप हर महीने ऐसा क्यों करते हैं?"
"मैंने क्या किया है भाई साहब?"
रामप्रवेश के सवालिया निगाहों का सामना करता वह डाकिया तनिक घबरा गया।
"हर महीने आप इस अम्मा को भी अपनी जेब से रुपए भी देते हैं और मुझे फोन पर इनसे इनका बेटा बन कर बात करने के लिए भी रुपए देते हैं!.ऐसा क्यों?"
रामप्रवेश का सवाल सुनकर डाकिया थोड़ी देर के लिए सकपका गया!.
मानो अचानक उसका कोई बहुत बड़ा झूठ पकड़ा गया हो लेकिन अगले ही पल उसने सफाई दी..
"मैं रुपए इन्हें नहीं!.अपनी अम्मा को देता हूंँ।"
"मैं समझा नहीं?"
उस डाकिया की बात सुनकर रामप्रवेश हैरान हुआ लेकिन डाकिया आगे बताने लगा...
"इनका बेटा कहीं बाहर कमाने गया था और हर महीने अपनी अम्मा के लिए हजार रुपए का मनी ऑर्डर भेजता था लेकिन एक दिन मनी ऑर्डर की जगह इनके बेटे के एक दोस्त की चिट्ठी अम्मा के नाम आई थी।"
उस डाकिए की बात सुनते रामप्रवेश को जिज्ञासा हुई..
"कैसे चिट्ठी?.क्या लिखा था उस चिट्ठी में?"
"संक्रमण की वजह से उनके बेटे की जान चली गई!. अब वह नहीं रहा।"
"फिर क्या हुआ भाई?"
रामप्रवेश की जिज्ञासा दुगनी हो गई लेकिन डाकिए ने अपनी बात पूरी की..
"हर महीने चंद रुपयों का इंतजार और बेटे की कुशलता की उम्मीद करने वाली इस अम्मा को यह बताने की मेरी हिम्मत नहीं हुई!.मैं हर महीने अपनी तरफ से इनका मनीआर्डर ले आता हूंँ।"
"लेकिन यह तो आपकी अम्मा नहीं है ना?"
"मैं भी हर महीने हजार रुपए भेजता था अपनी अम्मा को!. लेकिन अब मेरी अम्मा भी कहां रही।" यह कहते हुए उस डाकिया की आंखें भर आई।
हर महीने उससे रुपए ले अम्मा से उनका बेटा बनकर बात करने वाला रामप्रवेश उस डाकिया का एक अजनबी अम्मा के प्रति आत्मिक स्नेह देख नि:शब्द रह गया.......
TEA DAY मुबारक हो ❤️
🙏🏽/ एक चाय के सौ फायदे / ❤️
प्रस्तुति :❤️ कमल शर्मा
*नींबू वाली चाय*
पेट घटाए।
*अदरक वाली चाय*
खराश मिटाए।
*मसाले वाली चाय*
इम्युनिटी बढ़ाए।
*मलाई वाली चाय*
हैसियत दिखाए।
*सुबह की चाय*
ताजगी लाए
*शाम की चाय*
थकान मिटाए।
*दुकान की चाय*
मजा आ जाए।
*पड़ोसी की चाय*
व्यवहार बढ़ाए।
*मित्रों की चाय*
संगत में रंगत लाए।
*पुलिसिया चाय*
मुसीबत से बचाए।
*अधिकारियों की चाय*
फाइलें बढ़ाए।
*नेताओं की चाय*
बिगड़े काम बनाए।
*विद्वानों की चाय*
सुंदर विचार सजाए।
*कवियों की चाय*
भावनाओं में बहाए।
*रिश्तेदारों की चाय*
संबंधों में मिठास लाए।
*चाय चाय चाय*
सबके मन भाय।
*एक चाय*
भूखे की भूख मिटाए
*एक चाय*
आलस्य भगाए ।
*एक चाय*
भाईचारा बढ़ाए।
*एक चाय*
सम्मान दिलाए।
*एक चाय*
हर काम बन जाए।
*एक चाय*
हर गम दूर हो जाए।
*एक चाय*
रिश्तो में मिठास लाए।
*एक चाय*
खुशियाँ कई दिलाए।
*चाय पिए*
और चाय पिलाए।
जीवन को आनंदमय बनाए।
जीवन को आनंदमय बनाए।
humko bhi pilaye.....
*अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*👍👌😁🙏
शनिवार, 7 दिसंबर 2024
खो गयी कहीं चिट्ठियां
प्रस्तुति
*खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!!*
*“और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी”*
*नन्हें के आने की “खबर”*
*“माँ” की तबियत का दर्द*
*और पैसे भेजने का “अनुनय”*
*“फसलों” के खराब होने की वजह...!!*
*कितना कुछ सिमट जाता था एक*
*“नीले से कागज में”...*
*जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती*
और *“अकेले” में आंखो से आंसू बहाती !*
*“माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी*
*बच्चों का भविष्य थी और*
*गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां”*
*“डाकिया चिठ्ठी” लायेगा कोई बाँच कर सुनायेगा*
*देख-देख चिठ्ठी को कई-कई बार छू कर चिठ्ठी को अनपढ भी “एहसासों” को पढ़ लेते थे...!!*
*अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं*
और *अक्सर ही दिल तोड़ता है*
*“मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो*
*सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता है...*
*सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में*
*जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में*
*जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में*
*“चूल्हे” सिमट गए गैसों में*
और
*इंसान सिमट गए पैसों में 🙏*
😀😀
गुरुवार, 5 दिसंबर 2024
कैथी लिपि का गोपनीय महत्व
कैथी लिपि
प्रस्तुति - कमल किशोर
राज्य में विगत सर्वे खतियान एवं अनेक पुराने दस्तावेजों के कैथी लिपि में लिखे रहने के कारण विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया में आम रैयतों के साथ-साथ सर्वे कर्मियों को भी अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इन समस्याओं को देखते हुए राजस्व विभाग द्वारा कैथी लिपि से संबंधित एक पुस्तिका प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया। यह पुस्तिका विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
पुराने कैथी में लिखित दस्तावेजों को हिंदी लिपि में रूपांतरित करने के लिए लोग निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों का सहारा लेते थे एवं इसके लिए कभी कभी उनसे अनावश्यक राशि की वसूली भी कर ली जाती थी। अधिकांश लोगों ने इस संबंध में विभाग और क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनी समस्याएं रखी थीं। इसी के आलोक में विभाग ने इस पुस्तिका के प्रकाशन का निर्णय लिया।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने अपने कार्यालय कक्ष में कैथी लिपि पर लिखी गई इस पुस्तिका का अनावरण किया। इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह, सचिव श्री जय सिंह, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक श्रीमति जे0 प्रियदर्शिनी उपस्थित थीं। इस पुस्तिका की मदद से आम रैयत भी इस लिपि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है और अपने राजस्व दस्तावेजों का अवलोकन कर सकता है। इस कार्य के लिए बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के शोध छात्र श्री प्रीतम कुमार की सेवाएं ली गईं।
विभाग द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 7 जिलों यथाः- पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर एवं जमुई के बंदोबस्त कार्यालयों में पदस्थापित विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को दिया जा चुका है। विभाग द्वारा राज्य के अन्य सभी जिलों में भी प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम तैयार कर लिया गया है। विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य के सभी वैसे रैयत लाभान्वित होंगे जिनके पास भू- स्वामित्व से संबंधित पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं और उसके आधार पर ही उनकी भूमि के स्वामित्व का निर्धारण वर्तमान सर्वे की प्रक्रिया में किया जाना है।
साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )
14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...
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प्रस्तुति- कृति शरण / मेहर स्वरूप / सृष्टि शरण / अम्मी शरण / दृष्टि शरण पौराणिक कथा, कहानियों का संग्रह 1 to 10 पौराणिक कह...
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जी.के. अवधिया के द्वारा 25 Sep 2010. को सामान्य , शाश्वत रचनाएँ , ज्ञानवर्धक लेख कैटेगरी के अन्तर्गत् प्रविष्ट किया गया। टैग्स: कवि ...
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इच्छा और कामुकता से भरी 15 सर्वश्रेष्ठ भारतीय कामुक पुस्तकें भारत इरॉटिका लेखकों की एक नई नस्ल के साथ फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे की घटना पोस्ट क...