शनिवार, 12 जनवरी 2013

उम्र के 90वें पड़ाव पर नीरज का कारवां






उम्र के 90वें पड़ाव पर नीरज का कारवां अलीगढ़: ‘जागते रहिए जमाने को जगाते रहिए
मेरी आवाज में आवाज मिलाते रहिए’
- नीरज
व्यक्तित्व से यायावर महाकवि गोपालदास नीरज का युवा काल बेहद कठिनाइयों के बीच गुजरा था। 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश में इटावा के पुरावली में जन्मे नीरज ने पढ़ाई के साथ-साथ अजीविका के लिए सिनेमा हॉल पर नौकरी भी की। बाद के वर्षों में नीरज की रचनाओं ने देश-दुनिया के लोगों को उनका प्रशंसक बनाया। उनके प्रशंसकों में दिग्गज राजनेता, फिल्मी दुनिया के दिग्गज निर्देशक, अभिनेता, शिक्षाविद्, साहित्यकार, आदि शामिल हैं।

नीरज से जुड़े कुछ प्रसंग
1998 में अगस्त का महीना। गर्म दिन के बाद रात को स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली के लाल किले पर कवि सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। रात लगभग 9.30 बजे का समय है। अध्यक्षता गोपाल दास ‘नीरज’ कर रहे हैं। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मुरली मनोहर जोशी वीआईपी दर्शक दीर्धा से ही अपने संबोधन में कहते हैं कि ‘यह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि आज मेरे समक्ष मेरे हमेशा से ही प्रिय रहे नीरज जी काव्य पाठ करेंगे। नीरज जी को सुनना एक विलक्षण अनुभव होता है।’

खुद को आने से नहीं रोक पाए राज्यपाल
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी एक दीक्षांत समारोह में आते हैं और कहते हैं कि ‘इस कार्यक्रम के विषय में जब सुना कि नीरज जी अध्यक्षता करेंगे तो मैं खुद को यहां आने से रोक न सका’। ऐसा ही कुछ सपा प्रमुख मुलायम सिंह ने कुछ दिन पहले हुए एक दीक्षांत समारोह में कहा।

नीरज की प्रमुख रचनाएं
कविता संग्रह
:- 'दर्द दिया', 'प्राण गीत', 'आसावरी', 'बादर बरस गयो', 'दो गीत', 'नदी किनारे', 'नीरज की गीतिकाएं', संघर्ष, विभावरी, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तक, गीत भी अगीत भी इत्यादि।

पत्र संकलन

:- लिख लिख भेजूं पाती

आलोचना

:- पंत कला काव्य और दर्शन।

दोहों में

:- नीरज के दोहे

गीतों में

:- कारवां गुज़र गया,
:- खग उड़ते रहना जीवन भर,
:- छिप छिप अश्रु बहाने वालों,
:- धरा को उठाओ,
:- नीरज गा रहा है,
:- बसंत की रात,
:- मुझको याद किया जाएगा,
:- लेकिन मन आज़ाद नहीं है,
:- सांसों के मुसाफ़िर।

पुरस्कार एवं सम्मान
गोपालदास नीरज को कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
:- विश्व उर्दू परिषद पुरस्कार
:- पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
:- यश भारती और एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
:- पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
:- फिल्म फेयर पुरस्कार
नीरज को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये

पुरस्‍कृत गीत हैं:-

:- (1970) काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
:- (1971) बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं (फ़िल्म: पहचान)
:- (1972) ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)

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