दिनेश-दोहावली /
*ब्रह्मांड*
यहाँ सकल ब्रम्हांड का,निर्माता है कौन?
तर्कशास्त्र ज्ञाता सभी, हो जाते हैं मौन।।-१
वेदशास्त्र गीता सभी,अलग-अलग सब ग्रंथ।
परिभाषा ब्रह्मांड की,देते हैं सब पंथ।।-२
सकल समाहित है जहाँ,पृथ्वी,गगन समीर।
वही यहाँ ब्रह्मांड है,बतलाते मति-धीर।।-३
परमब्रह्म को जानिए, निर्माता ब्रह्मांड।
बतलाते हमको यही,पंडित परम प्रकांड।।-४
पंचभूत निर्मित यथा,काया सुघर शरीर।
काया ही ब्रह्मांड है,जो समझे वह धीर ।।-५
पंचभूत विचलित जहाँ, पाता कष्ट शरीर।
इसी भाँति ब्रह्मांड भी,पाता रहता पीर।।-६
ग्रह तारे गैलेक्सियाँ, सभी खगोली तत्त्व।
अंतरिक्ष ब्रह्मांड का, होता परम महत्व।।-७
गूँजे जब ब्रह्मांड में,'ओम' शब्द का नाद।
सभी चराचर जीव के,मिट जाते अवसाद।।-८
नष्ट न हो पर्यावरण,करें संवरण लोभ।
होगा फिर ब्रह्मांड में,कभी नहीं विक्षोभ।।-९
देवत्रयी ब्रह्मांड के,ब्रह्मा,विष्णु महेश।
ब्रह्मशक्ति की साधना,करता सदा 'दिनेश'।।-१०
दिनेश श्रीवास्तव
ग़ाज़ियाबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें